गेहूं की कीमतों में बढ़त रूस और यूक्रेन संकट के साथ-साथ इस साल गर्मी की जल्द शुरुआत की वजह से फसल पर पड़ने वाला असर के कारण दर्ज हुई है. वहीं, कीमतों में अगले साल नरमी की संभावना है. क्योंकि इस साल गेहूं की बुवाई पिछले साल के मुकाबले बढ़ी है और किसानों ने ऐसे बीजों का ज्यादा इस्तेमाल किया है जिससे मिलने वाली फसल ज्यादा तापमान में भी रह सकती हैं |
गेहूं के उत्पादन में कमी
मंत्रालय के मुताबिक, गेहूं का उत्पादन 2020-21 में 109.59 मिलियन टन से घटकर 2021-22 में 106.84 मिलियन टन हो गया. मध्य प्रदेश, बिहार, यूपी, हरियाणा और राजस्थान जैसे प्रमुख गेहूं उत्पादक राज्यों में मार्च और अप्रैल 2022 में भीषण गर्मी के चलते 2021-22 में गेहूं की अखिल भारतीय उपज 2020-21 में 3,521 किलोग्राम/हेक्टेयर से घटकर 3,507 किलोग्राम/हेक्टेयर हो गई |
2021-22 की तुलना में 433.44 लाख मीट्रिक टन कम थी. इस अवधि के दौरान गेहूं का बाजार मूल्य एमएसपी से अधिक था. मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, अप्रैल 2022 से गेहूं का एमएसपी 2,015 रुपये पर स्थिर है. इससे पहले एमएसपी 1,975 रुपये प्रति क्विंटल था |
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