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झारखंड के पलामू  जिले में एक ऐसा  आवासीय विद्यालय है, जहां के कायदे-कानून जेल से भी सख्त है. वह स्कूल है जिले के लेस्लीगंज के नीलांबर-पीतांबरपुर में स्थित कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय. यहां पढ़ने वाली छात्राओं के अभिभावक को अगर बच्चों से मिलना होता है तो उन्हें जमीन पर लेटना पड़ता है. जी हां यह हम नहीं तस्वीरें बोल रही है.

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छात्राओं को गेट के अंदर तो अभिभावकों को गेट के बाहर लेटना पड़ता है, तब जाकर बच्चे अभिभावक और अभिभावक अपने बच्चे को देख पाते हैं, उससे बात कर पाते हैं. अभिभावकों को जमीन पर लेटे देख राहगीर रूक जाते हैं. वह यह जानने में जुट जाते हैं कि ये लोग आखिर कर क्या रहे हैं. जब उन्हें यह जानकारी मिलती है कि वह अपने बच्चों से मिल रहे हैं तो सहसा ही उनके मुख से निकल पड़ता है बाप रे… यहां तो जेल से भी सख्त कायदे-कानून हैं.

छात्राओं को अभिभावकों से मिलने के लिए जमीन पर लेटना पड़ता है

इस स्कूल में छात्राओं की परेशानी की बात कोई नई नहीं है. पहले भी यहां छात्राओं की परेशानी से जुड़े मामले सामने आ चुके हैं. जांच में जिले में स्थिति कस्तूरबा स्कूलों के कायदे-कानून पर सवाल उठ चुका हैं. इसके बाद भी शिक्षा विभाग के स्तर से कोई कार्रवाई नहीं की गई.

छात्राओं को अभिभावकों से मिलने के लिए जमीन पर लेटना पड़ता है, ऐसा क्यों? इस बारे में पूछे जाने पर वार्डेन रेनू पांडे ने कहा कि प्रत्येक माह के 15 और 30 तारीख को छात्राओं को अपने अभिभावकों से मिलने की छूट दी जाती है.  मगर छात्राएं इन दो दिनों के अलावे गेट तक कैसे पहुंच जाती है, उन्हें पता नहीं.

स्कूल में प्राथमिक चिकित्सा की कोई व्यवस्था नहीं

जानकारी के अनुसार स्कूल में प्राथमिक चिकित्सा की कोई व्यवस्था नहीं है. अगर देर रात किसी छात्रा की तबीयत खराब हो गई तो स्कूल में प्राथमिक उपचार की कोई व्यवस्था नहीं है. न ही छात्राओं को अस्पताल ले जाने की कोई सुविधा. रात को छात्राओं को अकेले एक गार्ड के सहारे पैदल ही अस्पताल भेजा जाता है. इस मामले में पूछे जाने पर वार्डेन कोई ठोस जवाब नहीं दे सकीं. इस संबंध में प्रखंड शिक्षा प्रसार पदाधिकारी का पक्ष  लेने के लिए उनके मोबाइल नंबर पर संपर्क किया गया, मगर उनका मोबाइल स्विच ऑफ आया.

इस संबंध में जिला शिक्षा पदाधिकारी अनिल चौधरी ने कहा कि स्कूल में इस तरह के कायदे-कानून और प्राथमिक उपचार की व्यवस्था न होने की कोई जानकारी नहीं है. मामले की जांच कराई जाएगी. जांच के बाद ही कुछ बोल सकता हूं.

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