बच्चियों को मासिक धर्म के बारे में करें जागरूक, ताकि सेहत से न हो कोई समझौता
22 अगस्त 2024 : प्रोजेक्ट गर्ल्स हाई स्कूल, पटमदा में महिला व किशोरी स्वास्थ्य, माहवारी स्वच्छता व जेंडर समानता कार्यशाला आयोजित कर किशोरियों को जागरूक किया गया। कार्यशाला के दौरान समाज के बेहतरी के लिए बालिका शिक्षा के महत्व, बालक बालिका समानता की आवश्यकता, महिलाओं किशोरियों के साथ होने वाले जेंडर भेदभाव व बचाव, माहवारी स्वच्छता व जुड़े सामाजिक मिथकों शर्म झिझक को तोड़ने को आवश्यकता, किशोरावस्था में आने वाले शारीरिक मानसिक बदलाव इत्यादि पर विस्तार से चर्चा की गई।
दर्जनों गांवों से विद्यालय आने वाली बच्चियों के साथ बातचीत
कार्यशाला के दौरान दर्जनों गांवों से विद्यालय आने वाली बच्चियों के साथ बातचीत व अनुभवों के माध्यम से सामाजिक विश्लेषण भी किया गया। विश्लेषण में यह पाया गया की ज्यादातर बच्चियों की माताओं का विवाह कम उम्र में ही हो गया था, जिससे उनकी पढ़ाई बीच में ही छूट गई। उपरोक्त चर्चा से प्रेरणा लेते हुए बच्चियों ने समाज के तमाम सामाजिक कुरीतियों से सामना करते हुए कम से कम स्नातक तक अपनी पढ़ाई लगातार जारी रखने का प्रण लिया। वही पढ़ाई, पोषण व स्वास्थ्य के महत्व के बारे में समुदाय में भी जागरूकता प्रयास में योगदान देने का प्रयास बच्चों के भागीदारी से किया जायेगा।
कई शंकाओं की काउंसलिंग व निराकरण
कार्यशाला के दौरान किशोरियों ने कई प्रश्न पूछे, जिसके माध्यम से उनकी कई शंकाओं का निराकरण व काउंसलिंग भी किया जा सका। चर्चा का संचालन झारखंड के पैडमैन के नाम से विख्यात सामाजिक संस्था निश्चय फाउंडेशन के संस्थापक तरुण कुमार ने किया। इस दौरान विद्यालय में पीरियड पुस्तकालय, पैडबैंक के पुनर्गठन, एमएचएम लैब इत्यादि की योजना भी बनाई गई। कार्यक्रम में 80 से ज्यादा किशोरियां, सामाजिक कार्यकर्ता सोमाय लोहार, शिक्षिका कुमारी पूनम सिंह, अलका कुमारी व अन्य शिक्षक प्रमुख रूप से उपस्थित थे।
पढ़ाई में भी परेशानियां
विद्यालय में बालिकाओं के स्वास्थ्य को लेकर कई कार्यक्रम नियमित रूप से चलाए जा रहे हैं, विद्यालय की प्रभारी प्रधानाध्यापिका डॉ. प्रियंका झा का कहना है अगर बच्चियां स्वस्थ और सुरक्षित रहेगी तभी रोज विद्यालय आएगी। मासिक धर्म की पीड़ा के कारण बहुत सारी छात्राएं स्कूल नहीं आ पाती हैं, जिससे उनकी पढ़ाई में भी परेशानियां आती है। उनके लिए विद्यालय में स्पेशल रूम बनाया जा रहा है और जल्द ही विद्यालय में बालिकाओं के लिए स्पेशल टॉयलेट होगा जिससे वह मासिक धर्म के समय भी अपने आप को सहज महसूस कर पाएंगी। कोरोना काल में प्रोजेक्ट कन्या उच्च विद्यालय की बच्चियों ने घर घर तक चेन बनाकर किशोरियों तक सैनिटरी पैड की मदद पहुंचाने का अभियान पैडमैन तरुण कुमार के साथ मिलकर चलाया था, जो लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्डस में भी दर्ज है।
शशांक शेखर विगत 30 वर्षों से पत्रकारिता, आकाशवाणी व सामाजिक कार्यों से जुड़े हुए हैं साथ ही लघु/फीचर फिल्मों व वृत्त चित्रों के लिए कथा-लेखन का कार्य भी विगत डेढ़ दशकों से कर रहे हैं. मशाल न्यूज़ में पिछले लगभग ढाई वर्षों से कार्यरत हैं.
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