
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर झारखंड में एकल महिलाओं की सुधि लेने और उन्हें सशक्त करने के उद्देश्य से एक मंच लाने वाले संगठन एकल नारी सशक्ति संगठन की अब तक की उपलब्धियों की चर्चा करते हुए इसकी मुख्य संचालिका बिन्नी जी ने मौजूदा लेख में वस्तुस्थिति से रूबरू कराया है।
प्रस्तुत है उनका यह लेख
21वीं शताब्दी में भी भारतीय समाज में पितृसत्तात्मक व्यवस्था कायम है । महिलाएं दोयम दर्जे की नागरिक के रूप में जीवन जीने को मजबूर है। यही वजह है कि उन्हें आज भी अपना हक व अधिकार प्राप्त करने के लिए कठिन व चुनौती पूर्ण लड़ाई लड़नी पर रही है। जो महिलाएं सामाजिक,आर्थिक व श्रेणीगत रूप से कमजोर हैं- उनकी स्थिति तो और भी बदतर है। महिलाओं की इन्हीं तबको में एकल व एकाकी महिलाएं आती है।
एकाकी महिलाओं से तात्पर्य है..
एकाकी महिलाओं से तात्पर्य है- विधवा, परित्यकता,तलाकशुदा, उम्रदराज अविवाहित महिला व वैसी महिला जिनके पति लापता है अर्थात वजह कुछ भी हो लेकिन ऐसी महिलाओं के जीवनसाथी उनके साथ नहीं है। जिसके कारण एकल बहने बच्चों की एकल अभिभावक के रूप में दोहरी भूमिका अदा कर रही हैं। इन महिलाओं पर हो रहे अत्याचार और गैर बराबरी के खिलाफ आवाज उठाने के लिए झारखंड की एकल बहनों ने वर्ष 2005 में एक संगठन का निर्माण किया- जिसे “एकल नारी सशक्ति संगठन झारखंड” के नाम से जाना जाता है तब से आज तक यह संगठन, झारखंड राज्य में अपनी अलग पहचान बनाई है।
एकल महिलाओं की स्थिति का आकलन
एकल नारी सशक्ति संगठन ने निम्न आय वर्ग की एकल महिलाओं की स्थिति का आकलन बहुत बारीकी से किया है , जिससे उभर कर आया कि गरीब एकल महिलाएं बच्चों सहित अपनी जिंदगी गुजारने के लिए कठिन संघर्ष कर रही है । इन पर पारिवारिक व सामाजिक दबाव हमेशा बना रहता है। वह हर दिन किसी न किसी रूप में पुरुष प्रधान परिवार व समाज के अत्याचार, प्रताड़ना वअपमान का शिकार होती हैं। खासकर विधवा को तो डायन घोषित कर परिवार समाज के द्वारा तरह-तरह का लांछन लगाने के साथ-साथ उन्हें बहिष्कृत ही नहीं बल्कि हत्या तक कर दी जाती है । उन्हें अपशगुनी बोलकर परिवार, समाज में होने वाले सभी मांगलिक कार्यों से दूर रखा जाता है।
मानसिक प्रताड़ना
हद तो तब हो जाती है,जब उन्हें अपने बच्चों के वैवाहिक कार्यक्रम के विशेष रीति रिवाज को संपादित करने से भी वंचित किया जाता है ,जैसे – घृतढरी परिछन इत्यादि । ऐसे क्रूर समाज व्यवस्था से चोटिल मानसिक प्रताड़ना की शिकार एकल बहने अंदर से टूटकर हीन भावना से ग्रसित हो जाती है। एकल अभिभावक के रूप में माता-पिता दोनों की भूमिका निभाने की जिम्मेदारी के कारण अपने बच्चों को बेहतर शिक्षा – दीक्षा भी नहीं दे पाती है । घर की आर्थिक तंगी और मां की बेबसी के कारण उनके बच्चे बाल मजदूरी करने को विवश होते हैं। दहेज प्रथा के कारण बेटियों की शादी में बहुत कठिनाई होती है, कई बार तो परिवार की दयनीय आर्थिक स्थिति के कारण एकल नारियों की बेटियां ठगी विवाह का शिकार हो जाती है। यानी एकल नारी का अगला वंशज भी एकल नारी के दयनीय स्थिति का खामियाजा भुगतते हैं। परिवार व समाज व्यवस्था के कारण एकल नारी की परेशानी तो बढ़ती ही है । दूसरी तरफ, सरकार भी ऐसी उपेक्षित वंचित वर्ग की एकल महिलाओं के लिए संवेदनशील नहीं है, यह बहुत बड़ी विडंबना है।
सामाजिक सुरक्षा पेंशन की राशि..
वर्तमान समय में ही गौर करें तो पाते हैं कि वैसी महिलाएं जिनके पति हैं- उन्हें झारखंड सरकार मईया योजना के तहत ₹2500 प्रति माह राशि मुहैया करा रही है। जबकि सामाजिक सुरक्षा पेंशन की राशि अभी तक मात्र ₹1000 रुपए मासिक है,वह भी नियमित रूप से नहीं मिलता है। 6- 6 माह से लोग पेंशन की आस लगाए बैठे हैं । जबकि हम सब जानते हैं कि सामाजिक सुरक्षा पेंशन निहायत जरूरतमंद व्यक्तियों विधवा, दिव्यांग वृद्ध, निराश्रित, आदिम जनजाति इत्यादि को भूख से न मरने के लिए मुहैया कराई जाती है।
बिना रिश्वत कोई काम ही नहीं होता है !
उच्चतम न्यायालय के आदेश के बावजूद कठिन परिस्थितियों में जीने वाली एकल महिलाओं को अंत्योदय राशन कार्ड मुहैया नहीं कराया गया है, जिसके कारण एकल बहनों में असंतोष व्याप्त है। पात्र एकल बहनों की भी सारी प्रक्रियाओं को पूरा करने के बावजूद सरकारी योजनाओं का लाभ मिलना कठिन होता है क्योंकि बिना रिश्वत कोई काम ही नहीं होता है।
जमीन होते हुए भी मजदूरी करने को विवश
परिवार का उत्तराधिकारी होने के बावजूद परिवार वाले जमीन बांट कर नहीं देते हैं, जिसके कारण कई एकल बहने जमीन होते हुए भी मजदूरी करने को विवश हैं। जमीन के दस्तावेज/खतियान में महिलाओं का नाम अंकित नहीं होना, बहुत बड़ी समस्या है। इसका दंश एकल महिलाएं और उनके बच्चे झेल रहे हैं।
चुनौतियों का सामना दृढ़ता पूर्वक कर रही हैं
एकल नारी सशक्ति संगठन झारखंड वर्ष 2005 से ही अत्याचार वह प्रताड़ना से जूझने वाली एकल बहनों को संगठित करने का कार्य सतत कर रहा है। संगठन एकल बहनों के अंदर छुपी हुई शक्ति व क्षमता को चिन्हित कर उनमें उत्साह व जोश भरा है और हक के लिए संघर्ष करना सिखाया तथा अन्याय के खिलाफ उठ खड़े होने की रणनीति भी बनाई ।आज ये महिलाएं अनेक प्रकार की चुनौतियों का सामना दृढ़ता पूर्वक कर रही हैं।
हिंसा का भी मुंहतोड़ जवाब
संगठन, अब तक के सफर में फरवरी 2025 तक झारखंड के 16 जिलों के 42 प्रखंडों में लगभग 34000 एकल महिलाओं की जमात खड़ी कर चुकी है। संगठन के माध्यम से एकल बहनों ने अपने भीतर दबी हुई शक्ति को निखारते हुए पुरुषतांत्रिक सामाजिक व्यवस्था व सामंतवादी मानसिकता को चुनौती दे रही है। संगठित एकल महिलाएं परिवार व समाज द्वारा प्रताड़ना, जमीन संपत्ति पर गैर कानूनी कब्जे और एकल महिलाओं पर हो रहे हिंसा का भी मुंहतोड़ जवाब दे रही है।
संगठन एकल बहनों के लिए वैकल्पिक परिवार की तरह
संगठन के बल पर, एकल बहने सभी क्षेत्र में अपनी पहुंच बना रही हैं। अपने हक अधिकार को हासिल करने के लिए, वे किसी भी संघर्ष व बाधा को पार करने के लिए तैयार हैं। वे अपनी एकजुटता से, अपनी मंजिल की तरफ बढ़ रही है। संगठन, एकल बहनों के लिए वैकल्पिक परिवार की तरह है- जो नि:स्वार्थ भाव से एकल बहनों को अन्याय के खिलाफ लड़ने की हिम्मत, साहस व बल देता है ।
समस्याओं का समाधान
संगठन अब तक हजारों एकल महिलाओं की समस्याओं का समाधान , थाना व कोर्ट कचहरी के बाहर ही – अपने संगठनात्मक पहल से कर चुका है । जरूरतमंद एकल बहनों को सरकार की योजनाओं तक पहुंच बनाने में भी संगठन सदैव तत्पर रहता है। शुरू से अब तक अनगिनत एकल महिलाओं को योजनाओं का लाभ भी दिलवा चुकी है। विगत 5 वर्षों से संगठन, अपने पंचायत स्तरीय कमिटी गठन व सशक्तिकरण में लगा हुआ है, ताकि संगठन से ज्यादा से ज्यादा एकल बहने जुड़ सके और संगठन का लाभ उन्हें मिल सके।
एकल बहनों का कहना है- सफर है लंबा मंजिल भी है दूर, लेकिन “मंजिल उन्हीं को मिलती है, जिनकी सपनों में जान होती है। पंख से कुछ नहीं होता बहनों, हौसलों से उड़ान होती है।”

शशांक शेखर विगत 30 वर्षों से पत्रकारिता, आकाशवाणी व सामाजिक कार्यों से जुड़े हुए हैं साथ ही लघु/फीचर फिल्मों व वृत्त चित्रों के लिए कथा-लेखन का कार्य भी विगत डेढ़ दशकों से कर रहे हैं. मशाल न्यूज़ में पिछले लगभग ढाई वर्षों से कार्यरत हैं.
Join Mashal News – JSR WhatsApp
Group.
Join Mashal News – SRK WhatsApp
Group.
सच्चाई और जवाबदेही की लड़ाई में हमारा साथ दें। आज ही स्वतंत्र पत्रकारिता का समर्थन करें! PhonePe नंबर: 8969671997 या आप हमारे A/C No. : 201011457454, IFSC: INDB0001424 और बैंक का नाम Indusind Bank को डायरेक्ट बैंक ट्रांसफर कर सकते हैं।
धन्यवाद!