रांची में हिंसा के बाद शहर में जिंदगी पटरी पर लौट रही है तो दूसरी तरफ पुलिस उपद्रवियों की तलाश में जुटी है। करीब 3 दर्जन लोगों को पुलिस गिरफ्तार कर चुकी है, लेकिन अब भी कई कई पत्थरबाज पुलिस की रडार से दूर हैं। रांची पुलिस ने मंगलवार शाम को आरोपियों की तस्वीर वाले पोस्टर भी जारी किए, लेकिन कुछ ही देर बाद इनमें कुछ खामी बताकर उतार भी लिया गया। राज्यपाल की ओर से दिए गए निर्देश के बाद लगे पोस्टरों को कुछ घंटे में ही वापस लिए जाने की वजह से कई तरह के सवाल भी उठ रहे हैं।
रांची पुलिस ने मंगलवार दोपहर 33 उपद्रवियों के पोस्टर जारी किए थे। फोटो के साथ नाम-पता लिखे ये पोस्टर शहर में कई चौक-चौराहों पर लगवाए गए थे। हालांकि, कुछ ही घंटों बाद रांची पुलिस ने पोस्टरों को हटाने की जानकारी देते हुए कहा गया, ”सभी मीडिया बंधु और आमजनों को सूचित किया जाता है कि दिनांक 10.06.2022 को रांची में घटित हिंसक घटना में वांछित उपद्रवियों का फोटो जारी किया गया था। लेकिन संशोधन के लिए उसे वापस किया जाता है।” हालांकि, अब तक पोस्टर दोबारा जारी नहीं किया गया है।
योगी सरकार से होने लगी तुलना, बिगड़ सकते थे समीकरण
भले ही पुलिस ने यह कदम राज्यपाल की ओर से मिले निर्देश के बाद उठाया था, लेकिन टीवी चैनलों से लेकर सोशल मीडिया तक पर कांग्रेस-जेएमएम और आरजेडी गठबंधन वाली सरकार की तुलना यूपी की योगी सरकार से होने लगी। यह कहा जाने लगा कि यूपी की योगी सरकार की राह पर चलते हुए हेमंत सोरेन सरकार ने भी आरोपियों के पोस्टर चौराहों पर टांग दिया है। राजनीतिक जानकारों की मानें तो सोरेन सरकार इस तरह के नैरेटिव से सतर्क हो गई और राजनीतिक समीकरणों के बिगड़ने की आशंका के तहत इन पोस्टरों को हटाने का आदेश दिया गया।
यह गैर भाजपाई दलों के उस स्टैंड से बेहद अलग था, जिसके तहत यूपी सरकार को ये पार्टियां घेरती रही हैं। सूत्रों के मानें तो गठबंधन दलों के कई नेताओं ने इससे अल्पसंख्यक समुदाय में गलत संदेश भेजने वाला कदम बताया। कुछ नेताओं ने तो खुलकर इसका विरोध किया।
जेएमएम में ही विरोध
सरकार में सबसे बड़े घटक झारखंड मुक्ति मोर्चा में भी पोस्टर को लेकर विरोध की आवाज आने लगी। झारखंड मुक्ति मोर्चा के केंद्रीय समिति सदस्य वरिष्ठ नेता सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि रांची में हुई घटना को लेकर वांछित लोगों की फोटो, नाम, पता चौक-चौराहों पर सार्वजनिक रूप से चस्पा करने से सामाजिक सौहार्द बिगड़ सकता है। नफरत की आग भड़क सकती है। सुप्रियो ने कहा कि पुलिस को तस्वीरों के आधार पर उपद्रवियों को पकड़ना है, तो इसके लिये मीडिया में फोटो है।
सत्यता जांच कर वायरल वीडियो की मदद ली जा सकती है। उन्होंने कहा कि सत्तासीन झामुमो ऐसा कोई कदम नहीं उठायेगी, जिससे सामाजिक सौहार्द बिगड़ने की आशंका बने। इसलिये घटना से संबंधित पोस्टर लगाने पर झारखंड मुक्ति मोर्चा को ऐतराज है। उन्होंने यहां तक कहा कि इससे यूपी और झारखंड में फर्क मिट जाएगा।
राज्यपाल ने दिया था निर्देश
राज्यपाल रमेश बैस ने सोमवार की शाम राज्य के डीजीपी, एडीजी अभियान, रांची के डीसी और एसएसपी को तलब किया था। राज्यपाल ने आदेश दिया था कि दंगा में शामिल उपद्रवियों की तस्वीर व पूरी जानकारी पोस्टर, बैनर के जरिए शहर के प्रमुख चौक चौराहों में लगाई जाए, ताकि दंगा में शामिल लोगों के बारे में आम लोग पुलिस को जानकारी दे सकें। मंगलवार को पूरे दिन पुलिस ने राज्यपाल के आदेश के अनुपालन को लेकर तैयारी की।
दिनभर पुलिस के कई अफसरों ने माथापच्ची कर अलग-अलग वीडियो फुटेज से उन लोगों को चिन्हित किया, जो 10 जून को पत्थरबाजी करते दिख रहे थे। पुलिस ने दिन के तकरीबन साढ़े तीन बजे पोस्टर जारी कर दिया। पुलिस के द्वारा पोस्टर जारी किए जाने के चंद मिनटों बाद ही यह सोशल मीडिया पर वायरल भी हो गया।
Join Mashal News – JSR WhatsApp Group.
Join Mashal News – SRK WhatsApp Group.
सच्चाई और जवाबदेही की लड़ाई में हमारा साथ दें। आज ही स्वतंत्र पत्रकारिता का समर्थन करें! PhonePe नंबर: 8969671997 या आप हमारे A/C No. : 201011457454, IFSC: INDB0001424 और बैंक का नाम Indusind Bank को डायरेक्ट बैंक ट्रांसफर कर सकते हैं।
धन्यवाद!