अगर आपसे यह कहा जाए कि बाजार में लिप्स्टिक की मांग बढ़ने पर अर्थशास्त्री मंदी का अंदेशा जताते हैं तो मजाक ही लगेगा. लेकिन, यह थ्योरी और लिप्स्टिक का मंदी के साथ इसका कनेक्शन बिलकुल सीधा है. साल 2001 में लियोनार्ड लॉडर ने यह थ्योरी दी थी और बताया था कि अगर बाजार में लिप्स्टिक की बिक्री ज्यादा बढ़ जाती है तो समझ लेना चाहिए कि हम मंदी के मुहाने पर पहुंच गए हैं. इस लिप्स्टिक इंडेक्स कहा गया.
क्या होता है लिपस्टिक इंडेक्स ?
लिपस्टिक इंडेक्स का अर्थ अर्थव्यवस्था की उस स्थिति से है, जहां लोग छोटी-छोटी सुविधाओं और लग्जरी पर खर्च जारी रखते हैं. ऐसी स्थिति कई बार मंदी के दौर में भी देखी जाती है. लिपस्टिक इफेक्ट वैश्विक इकोनॉमी में कई बार देखने को मिला है. एक्सपर्ट्स का कहना है कि जब इकोनॉमी में मंदी आती है या किसी दूसरे तरह का दबाव होता है तो महिलाएं महंगी चीजों पर खर्च घटा देती हैं. लेकिन, वे उन चीजों पर खर्च बढ़ाती हैं, जो उनके बजट पर खराब असर डाले बगैर उनके मूड को बेहतर करने में उनकी मदद कर सकती है. लिपस्टिक ऐसी ही एक चीज है. इसी कांसेप्ट को अर्थशास्त्र की भाषा में ‘लिपस्टिक इफेक्ट’ कहा गया है.
क्या है इसके पीछे का राज?
इस थ्योरी के पीछे अर्थशास्त्रियों का तर्क ये है कि जब अर्थव्यवस्था में सुस्ती आती है तो महिलाएं ज्यादा महंगे कॉस्मेटिक और ब्यूटी प्रोडक्ट नहीं खरीद पाती हैं और उनका जोर बचत की तरफ रहता है. ऐसे में वे सस्ते ब्यूटी प्रोडक्ट और कम कीमत वाली कॉस्मेटिक के जरिये ही खुद को खुश रखने की कोशिश करती हैं. जाहिर है सस्ते ब्यूटी प्रोडक्ट में सबसे आसान लिप्स्टिक होती है और यह ब्यूटी प्रोडक्ट में सबसे प्रमुख भी मानी जाती है.
कब आया ये टर्म चर्चा में ?
लिपस्टिक इफेक्ट पहली बार 2001 की मंदी के दौरान चर्चा में आया था. उस समय यह देखा गया था कि इकोनॉमी की खराब हालत के बावजूद लिपस्टिक की बिक्री बढ़ी है. 1929 और 1993 की महामंदी के दौरान भी ऐसा देखने को मिला था. इसे ‘लिपस्टिक इंडेक्स’ नाम दिया गया. इस थ्योरी के मुताबिक, इकोनॉमी की सेहत और कॉस्मेटिक्स की बिक्री के बीच विपरीत संबंध है.
एक्सपर्ट्स का कहना है कि वर्तमान में हमारी अर्थव्यवस्था में लिपस्टिक इफेक्ट देखने को मिल रहा है. NPD के एनालिस्ट Natalia Bambiza के मुताबिक, 2022 की पहली तिमाही में लिपस्टिक की बिक्री एक साल पहले की समान अवधि के दौरान 48 फीसदी बढ़ी है. एक्सपर्ट्स ने बताया कि अमेरिका सहित दुनिया के कई बड़े देशों में हाई इनफ्लेशन का असर लोगों के बजट पर पड़ा है.
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