अलग झारखंड राज्य आंदोलन के समय आंदोलनकारियों का जज्बा उफान पर था। आंदोलनकारियों पर बिहार पुलिस की दबिश थी। उसी में एक आंदोलनकारी संतोष सोरेन के सबसे हिट लिस्ट में थे। इन्हें आंदोलन के समय मुसाबनी थाना के बरगद पेड़ में उल्टा लटका कर एक नहीं कई दफा पुलिस ने पीटा था। आंदोलन के दौरान कुल 24 केस दर्ज हुए थे। जिसमें से 7 बीसीसी एक्ट (बिहार क्रिमिनल क्रंटोल एक्ट) भी था। हर दिन पुलिस संतोष सोरेन के घर गिरफ्तारी के लिए दस्तक देती थी और घर की तलाशी लेती थी।चार बार घर भी कुर्की हुआ।इस दौरान संतोष सोरेन पर 4 बार पुलिस फायरिंग भी हुआ।
वे चार दफा जेल गये, जिसमें सबसे अधिक 14 माह की जेल यात्रा भी शामिल थी। संतोष सोरेन का झारखंड आंदोलन के समय पुलिस के साथ आंख मिचौली का खेल होता था और इन्हें जवानी में पुलिस से बड़ा कष्ट हुआ, लेकिन अब यही पुलिस उनके बुढ़ापे का सहारा बनेगा।
जवानी की जिंदगी भागते छुपते
लेकिन वक्त का तकाजा ऐसा बदला कि जिस पुलिस के लिए संतोष सोरेन ने अपनी जवानी की जिंदगी भागते छुपते गुजारा। आज वही पुलिस वाला उसके घर में आ गया है। उसके पुत्र तराश सोरेन ने जेपीएससी की परीक्षा में 221वां रैंक लाया है और उनका चयन डीएसपी के लिए हुआ है। संतोष सोरेन ने बताया कि काफी दिक्कत से उन्होंने अपने तीन बेटों को पाला। पारिवारिक स्थिति काफी खराब थी।
इसके वावजूद भी तीनों बेटे अपने अपने पैरों पर खड़े हो गये हैं। बड़ा बेटा रेलवे में नौकरी कर रहा है। जबकि दूसरा बेटा तराश सोरेन टिस्को में अप्रेंटिस कर नौकरी ज्वाइन किया और नौकरी करते करते जेपीएससी की परीक्षा की तैयारी भी किया और अब उसका चयन हो गया है। जबकि तीसरा सबसे छोटा बेटा एमबीए कर चुका है और उसका नौकरी के लिए उसका कैम्पस सलेक्शन भी हो गया है।
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