बिहार सरकार ने सोमवार को जातीय गणना के आंकड़े जारी किए हैं, इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को एक याचिका दायर की गई, जिसे कोर्ट ने स्वीकार कर लिया है। हालांकि, कोर्ट ने कहा वह अभी इस मामले में कोई टिप्पणी नहीं करेगा। 6 अक्टूबर को मामला सुनवाई के लिए लगा है, उसी समय आपकी दलील सुनेंगे।
याचिकाकर्ता के वकील का कहना है कि बिहार सरकार ने पहले जातिगत जनगणना के आंकड़े सार्वजनिक न करने की बात कही थी।
इधर बिहार में जातीय गणना के आंकड़े जारी होने के बाद अब बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मंगलवार 3 अक्टूबर को सर्वदलीय बैठक बुलाई है। बैठक CM सचिवालय में हो रही है। इसमें सभी दलों के नेताओं को जाति आधारित गणना के आंकड़ों के बारे में जानकारी देने के साथ-साथ चर्चा की जा रही है।
9 पार्टियों की राय से जाति आधारित गणना का काम हुआ
इससे पहले गणना जारी होने के बाद मुख्यमंत्री ने बताया था कि 9 पार्टियों की राय से जाति आधारित गणना का काम हुआ है। सोमवार को एक कार्यक्रम के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा था कि सारी पार्टियों के सामने सारी चीजें रखी जाएंगी। कल जारी सर्व के आंकड़ों के मुताबिक बिहार की जनसंख्या 13 करोड़ 7 लाख 25 हजार 310 है। इसमें 2 करोड़ 83 लाख 44 हजार 160 परिवार हैं। जिसमें अत्यंत पिछड़ा वर्ग (EBC) 36%, अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) 27% हैं। वहीं जातियों में सबसे ज्यादा 14.26% यादव हैं। ब्राह्मण 3.65%, राजपूत (ठाकुर) 3.45% हैं। सबसे कम संख्या 0.60% कायस्थों की है।
आज की ऑल पार्टी मीटिंग में आंकड़ों पर प्रजेंटेशन रखा जाएगा। सबकी राय लेकर आगे कदम उठाएंगे। बैठक में सभी डाटा को दिखाया जाएगा। इसके आधार पर निर्णय लिए जाएंगे। जातीय गणना के साथ-साथ एक-एक परिवार की आर्थिक स्थिति की जानकारी ले ली गई है, उसकी रिपोर्ट भी जारी होगी। अनुसूचित जाति के लोगों की संख्या बढ़ी है, उनको भी फायदा होगा। सबको लाभ मिले। इसको लेकर बैठक में एक-एक चीज को रखी जाएगी।
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