सनातन धर्म को खत्म करने की वकालत करने पर घिरे उदयनिधि स्टालिन अपनी बात से पीछे हटने को तैयार नहीं है। तमिलनाडु सीएम एमके स्टालिन के बेटे कई बार दोहरा चुके हैं कि मैं अपनी बात पर कायम हूं। उन्होंने कहा कि यदि सनातन धर्म में भेदभाव है तो फिर उसके खिलाफ मैं बोलूंगा। यही नहीं मीडिया की ओर से भेदभाव का उदाहरण पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को संसद भवन के उद्घाटन में नहीं बुलाया गया। यह जाति के आधार पर भेदभाव का सबसे ताजा उदाहरण है।
देश भर में राजनीतिक माहौल गरमा गया
उदयनिधि के बयान पर देश भर में राजनीतिक माहौल गरमा गया है। आम आदमी पार्टी, कांग्रेस और आरजेडी जैसी कई पार्टियों के नेताओं ने उनकी बात का समर्थन किया है। लेकिन कांग्रेस से लेकर आप तक सभी के हाईकमान ने इससे दूरी बना ली है। यही नहीं टीएमसी की ममता बनर्जी और सपा के रामगोपाल यादव ने तो एक तरह से उदयनिधि को नसीहत दी है कि किसी भी धर्म के बारे में गलत नहीं बोलना चाहिए। वहीं कांग्रेस इस मुद्दे पर बंटी हुई नजर आ रही है। एक तरफ खरगे के बेटे प्रियांक ने भी कहा कि भेदभाव करने वाले धर्म को खत्म कर देना चाहिए तो वहीं दूसरी तरफ कई नेता दूरी बनाते दिखे।
आम आदमी पार्टी के नेता राजेंद्र पाल गौतम ने भी कहा कि भेदभाव करने वाला धर्म खत्म हो जाना चाहिए। वहीं पार्टी संयोजक अरविंद केजरीवाल ने इस मसले से दूरी बनाने की कोशिश करते हुए कहा कि मैं भी सनातनी ही हूं। आरजेडी नेता शिवानंद तिवारी ने इस मसले पर बहस और तेज करते हुए कहा कि किस धर्म के संत सिर काटने जैसी बातें करते हैं। सनातन धर्म में दलितों पर अत्याचार होता है। इसमें पिछड़ों की क्या स्थिति है, यह किसी से छिपा नहीं है।
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