सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को आसाराम बापू को आजीवन कारावास मामले में राहत देने से मना कर दिया। दरअसल, दुष्कर्म के मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहे आसाराम बापू की सजा को निलंबित करने के लिए कोर्ट में याचिका दायर की गई थी, जिस पर अदालत ने विचार करने से इनकार कर दिया।
कोर्ट ने विचार करने से किया इनकार
जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस एसवीएन भट्टी की पीठ ने याचिकाकर्ता के वकील देवदत्त कामत से कहा कि अदालत इस पर विचार नहीं करेगी। पीठ ने कहा कि आप (वकील) आजीवन कारावास की सजा के खिलाफ उच्च न्यायालय में बहस के लिए तैयार रहें। बता दें कि आसाराम बापू को 25 अप्रैल, 2018 जोधपुर ट्रायल कोर्ट आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी।
याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि आसाराम बापू करीब 10 वर्षों से जेल में बंद हैं और उनके खराब स्वास्थ्य की स्थिति पर हाई कोर्ट ने विचार करने से मना कर दिया है।
वकील ने वापस ली अपील
पीठ ने कहा कि आपको नियमित सुनवाई की तैयारी करनी चाहिए, जो हाई कोर्ट के सामने प्रस्तुत होने वाली है। साथ ही पीठ ने कहा कि वह कामत द्वारा दायर अपील को खारिज करने के इच्छुक है। इस पर कामत ने कोर्ट से अनुरोध किया कि वह इसे खारिज न करें। कामत ने कहा कि वह अपनी अपील को वापस लेने के लिए तैयार हैं। इसके बाद पीठ ने अपील को वापस लेने की इजाजत दे दी।
पहले भी याचिका हुई थी खारिज
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने 31 अगस्त, 2021 को आसाराम की एक याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया था। याचिका में आसाराम बापू को इलाज करवाने के लिए उनकी कुछ महीने की सजा निलंबित करने की मांग की गई थी, जिसे शीर्ष अदालत ने खारिज कर दिया था।
बता दें कि आसाराम बापू को जोधपुर की विशेष अदालत (POCSO) ने दुष्कर्म सहित यौन उत्पीड़न के कई मामलों में दोषी माना था। अदालत ने उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। आसाराम बापू को अपने आश्रम में किशोरी से दुष्कर्म करने के मामले में 2013 में गिरफ्तार किया गया था।
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