बाल मन पर कहानी का असर सबसे ज्यादा होता है। इसके माध्यम से बच्चों के मन में विषय वस्तु पूरी तरह से घर कर जाती है। बात जब दादी-नानी की कहानियों की हो तो रोचकता बढ़ना स्वाभाविक है। फिर न तो समय का ध्यान रहता है और न ही भूख-प्यास का, तल्लीनता ऐसी कि कई बार झकझोरने पर भी बच्चे खुद को उससे अलग नहीं कर पाते हैं।
दादी-नानी के इस नुस्खे को हथियार बना जमशेदपुर की संस्था बच्चों को मोबाइल की लत छुड़ाने में जुटी है। कोशिश रंग लाने लगी है और दादी-नानी का नुस्खा बच्चों को बदमाशी और अन्य मामलों से ध्यान भटकाने के काम आने लगा है। मोबाइल की गिरफ्त में आ चुके बच्चों को यह तरीका भाने लगा है। इस अभियान का नाम दिया गया है -सुनो कहानी और इसे रोटी बैंक संस्था चला रही है।
तीन सौ से अधिक बच्चे जुड़ चुके हैं अभियान से
शहर में एमजीएम अस्पताल, साकची समेत अन्य जगहों पर गरीबों को निशुल्क खाने मुहैया कराने वाली रोटी बैंक के बच्चों के प्रति इस अभियान को सराहा गया है। हर सप्ताह संस्था के लोग अलग-अलग बस्तियों में जाकर बच्चों को प्रेरणादायी और शिक्षाप्रद कहानियां सुनाते हैं। छायानगर से इस अभियान की शुरूआत हुई है और अबतक चार बस्तियों में 300 से अधिक बच्चे इस अभियान से जुड़ चुके हैं। कई बार बच्चों के आग्रह पर संस्था के सदस्यों को तय समय ज्यादा देर तक रुकना पड़ता है। वंस मोर-वंस मोर के शोर को रोकने के लिए उन्हें यह आश्वासन देना पड़ता है कि वे दूसरी कहानी भी सुनाएंगे।
पहले मोबाइल के दुष्प्रभाव की जानकारी, फिर सवाल-जवाब
रोटी बैंक के सदस्य कहानी के अंत में मोबाइल के दुष्प्रभावों के बारे में जानकारी देते हैं। इस दौरान हाल-फिलहाल घटी घटनाओं का उल्लेख करना नहीं वे नहीं भूलते। बच्चों को कहानियां काफी पसंद आ रही हैं, क्योंकि कार्यक्रम के अंत में सामान्य ज्ञान प्रतियोगिता रखी जाती है और उससे जुड़े सवाल पूछे जाते हैं। सवालों का जवाब देने वाले बच्चों को पुरस्कृत भी किया जाता है। रोटी बैंक के प्रमुख मनोज मिश्रा ने बताया कि पहले बच्चों को नानी-दादी कहानियां सुनाई जाती थी।
लेकिन अब धीरे-धीरे यह परंपरा खत्म हो गई है। उनकी जगह मोबाइल ने ले ली है। मोबाइल के दुष्प्रभाव से बच्चों को बचाने के लिए सुनो कहानी अभियान की शुरुआत की गई है। कई स्कूलों ने उनसे संपर्क किया है और सुनो कहानी अभियान से जुड़ने की बात कही है। मोबाइल से इतर किताबों में भी कई ज्ञानवर्द्धक सामग्री उपलब्ध है, यह बताया जाता है। एमबीए शुभश्री दत्ता उर्फ पायल बच्चों को रोचक तरीके से कहानियां सुनाती हैं।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, पद्मश्री जमुना टुडू और छुटनी महतो की कहानी पसंदीदा
अभियान के दौरान प्रेरणादायी कहानियों से बच्चों का मार्गदर्शन किया जाता है। संस्था के सदस्य बताते हैं कि ओडिशा के रायरंगपुर के एक छोटे से गांव से राष्ट्रपति भवन तक के द्रौपदी मुर्मू के सफर की कहानी बच्चों में काफी लेाकप्रिय है। इस कहानी के दौरान बच्चों की ओर प्रश्नों से झड़ी लगा दी जाती है। इसी तरह जंगलों में तस्करों के खिलाफ लड़ने वाली लेडी टार्जन के नाम से मशहूर जमुना टुडू की कहानी में भी बच्चे दिलचस्पी ले रहे हैं। आम सवाल होता है कि तस्करों से मुकाबला करने में उन्हें डर नहीं लगा। डायन प्रथा के खिलाफ सरायकेला ही नहीं पूरे कोल्हान में आवाज उठाने वाली पद्मश्री छुटनी महतो के संघर्ष की कहानी भी बच्चे बड़े चाव से सुन रहे हैं। कई बच्चों ने तो इनसे मिलने की इच्छा भी जताई है। Source (Hindustan)
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