आज अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस है। इस दिवस विशेष में झारखंड में महिलाओं की बात करें तो जीवन के कई महत्वपूर्ण हिस्से में राज्य की ग्रामीण महिलाओं की स्थिति शहर के मुकाबले कहीं कमतर है तो कहीं बेहतर है। एफएचएस पांच के आंकड़ों को देखने से तो यही लगता है कि भौतिक संसाधनों के इस्तेमाल में झारखंड की महिलाओं की संख्या में इजाफा हुआ है। यहां मोबाइल इस्तेमाल की बात करें तो एनएफएचएस फोर के मुकाबले लगभग 14 फीसदी का इजाफा हुआ है। यहां 49 फीसदी महिलाएं मोबाइल इस्तेमाल करती हैं। जबकि उनकी स्थिति डिसिजन मेकिंग में कम है।
घरेलू हिंसा की ग्रामीण महिलाएं होती हैं ज्यादा शिकार
एनएफएचएस पांच के आंकड़े बताते हैं कि परिवार को बनाए रखने या सामाजिक दवाब वजह हो पर झारखंड के गांव की महिलाएं घरेलू हिंसा की शिकार होने के बाद भी शिकायत नहीं करती हैं। ग्रामीण झारखंड की महिलाएं घरेलू हिंसा की ज्यादा शिकार होती हैं। एनएफएचएस-पांच के आंकड़ों की बात करें तो 18-49 साल की गांव की 33.4 फीसदी विवाहित महिलाएं कभी न कभी घरेलू हिंसा की शिकार होती हैं। अब इस बात के मुकाबले शहरी झारखंड की महज 2.1 फीसदी महिलाओं के साथ ऐसा हुआ है। एक अन्य आंकड़े की बात करें तो गर्भावस्था के दौरान 3.4 फीसदी ग्रामीण महिलाओं के साथ शारीरिक हिंसा हुई है। वहीं 18-29 वर्ष की 1.5 ग्रामीण युवतियां हिंसा की शिकार हुईं हैं।
घरेलू निर्णय लेने में भी महिलाएं पीछे
झारखंड के गांव की महिलाएं घरेलू की शिकार तो होती ही हैं, वहीं घरेलू निर्णय लेने में भी इनकी भागीदारी काफी कम है। एनएफएचएस-पांच की रिपोर्ट के अनुसार शहर की 94.6 फीसदी महिलाएं घर के महत्वपूर्ण फैसलों में अपनी भागीदारी निभाती हैं। जबकि गांव की महिलाओं की स्थिति इस मामले में नीचले स्तर पर है। आंकड़ों के अनुसार 89.8 फीसदी गांव की महिलाएं ही घरेलू निर्णय में हिस्सा ले पाती है। बात स्वास्थ्य की करें तो यहां भी झारखंड के ग्रामीण क्षेत्र की महिलाएं विशेष जागरूक अब भी नहीं हुई हैं। मासिक के दौरान ग्रामीण झारखंड की 70.8 फीसदी महिलाएं मासिक के दौरान स्वच्छता का ख्याल रखती हैं। इस मुकाबले शहर की 88.2 फीसदी इस दौरान ज्यादा ध्यान रखती हैं।
43.7 फीसदी ग्रामीण महिलाओं के पास अपना मोबाइल
एनएफएचएच पांच के आंकड़े के अनुसार राज्य की 49 फीसदी महिलाओं के पास अपना मोबाइल फोन है। हालांकि शहरी महिलाओं की अपेक्षा ग्रामीण महिलाएं इस मामले में अभी पीछे हैं। शहर की 65.2 फीसदी और ग्रामीण की 43.7 फीसदी महिलाओं के पास अपना मोबाइल फोन है। संपत्ति और बैंक खाता में गांव की महिलाएं शहरी महिलाओं से आगे हैं। झारखंड की 79.6 फीसदी महिलाओं के पास अपना बचत बैंक का खाता है। इसमें 79.8 फीसदी ग्रामीण महिला के पास और 79.2 फीसदी शहरी महिला के पास अपना खाता है।
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