पटना में पुलिस का एक सनसनीखेज कारनामा सामने आया है। ये कारनामा शातिर अपराधियों की शिकायत से जुड़ा है। दरअसल, पटना पुलिस द्वारा एक FIR में टेम्परिंग की गई है। आसान भाषा में समझे तो कंप्लेन वाली कॉपी में छेड़छाड़ कर उसे बदल दिया गया।
मामला पटना में एक नाबालिग लड़की के रहस्मय तरीके से लापता होने के केस से जुड़ा है। टेम्परिंग का आरोप किसी और पर नहीं बल्कि केस की जांच कर रहे इन्वेस्टिगेशन ऑफिसर (IO) और सब-इंस्पेक्टर विजय कुमार के ऊपर ही लगा है।
लापता नाबालिग लड़की की मां को जिनके ऊपर शक है, उन लोगों को उन्होंने अपने कंप्लेन में नामजद आरोपी बनाया था, लेकिन जब कोर्ट से केस की सर्टिफाइड कॉपी निकाली गई तो उसे देख पीड़ित परिवार के होश उड़ गए। परिवार को FIR की कॉपी बदली हुई मिली।
SSP ने दिए जांच के आदेश
बदली हुई कंप्लेन कॉपी में सबसे पहले मां की जगह पिता का नाम लिखा मिला। दूसरा- कंप्लेन में नामजद आरोपियों के नाम गायब मिले। तीसरा- लापता लड़की को ही उसमें दोषी ठहराया गया। चौथा- नाबालिग की उम्र को दो साल अधिक बताया गया।
होश उड़ा देने वाला यह मामला अब पटना के SSP राजीव मिश्रा के पास पहुंच गया है। जानकारी मिलते ही SSP ने इस पूरे प्रकरण के जांच के आदेश दे दिए हैं। सब-इंस्पेक्टर के शातिराना खेल का यह मामला पटना के बहादुरपुर थाना का है। पटना सिटी के SDPO शरथ आरएस पूरे प्रकरण की जांच कर रहे हैं।
मां ने मकान मालिक समेत 5 को बनाया था आरोपी
लापता लड़की की मां का नाम सरला कुमारी (बदला हुआ नाम) है। ये अपने परिवार के साथ बहादुरपुर इलाके में किराए के मकान में रहती हैं। इनके अनुसार, बात आज से 80 दिन पहले 24 जून की सुबह 9:30 बजे की है। इसी साल मैट्रिक पास कर चुकी 15 साल की उनकी बेटी घर पर थी। सुबह उसे बुलाने के लिए उसकी सहेली भोली कुमारी आई। बेटी को बोली कि गांधी मैदान चलना है।
उस वक्त मकान मालिक शिवलायक उर्फ सुखल, पारो, रूबी कुमारी और उनका बेटा अरूण कुमार बाहर गली में खड़े थे। ये सभी उनकी बेटी को काले रंग की एक गाड़ी में बैठाकर चले गए। शाम 4 बजे सभी लोग वापस घर आ गए, लेकिन उनकी बेटी नहीं लौटी।
मां ने कई बार सभी से बेटी के बारे में पूछा, लेकिन किसी ने आज तक कुछ नहीं बताया। इसके बाद 25 जून को बहादुरपुर थाने में लड़की की मां ने कंप्लेन किया और मकान मालिक समेत सभी लोगों को नामजद आरोपी बनाया।
दो दिन बाद सादे कागज पर कराया था सिग्नेचर
लड़की के पिता मंगल राय (बदला हुआ नाम) के मुताबिक, थाने में लिखित शिकायत के बाद लड़की के माता-पिता बहादुरपुर थाने पहुंचे। पुलिस ने बताया कि वे लोग उनकी बेटी को खोज रहे हैं। पिता ने कहा कि वो पढ़े लिखे नहीं है। बस किसी तरह से सिग्नेचर कर लेते हैं। पिता का दावा है कि केस के इन्वेस्टिगेशन ऑफिसर (IO) ने उनसे एक सादे कागज पर सिग्नेचर करवाया था।
मंगल राय ने बताया कि जब पटना सिटी कोर्ट से केस की सर्टिफाइड कॉपी निकाली गई तो उसमें पत्नी के नाम की जगह उनका नाम मिला। मेरी बेटी की उम्र 17 साल है। कॉपी में मेरे हवाले से ये लिखा गया कि वो बिना कुछ बताए पीले ड्रेस में कहीं निकल गई है। मेरी बेटी पहले भी तीन बार भाग चुकी है। जिसे हम लोग कहीं-कहीं से पकड़ कर ले आते थे, लेकिन इस बार बिना कुछ बताए किसी अज्ञात के साथ भाग गई है।
पिता ने बताया कि मेरे कंप्लेन में सारा दोष सिर्फ बेटी की सहेली पर मढ़ दिया गया। जिन लोगों को मेरी पत्नी ने अपने कंप्लेन में आरोपी बनाया था, उनके नाम इस कंप्लेन से गायब मिले।
एक जैसी है लिखावट
लड़की की मां ने जब थाने में कंप्लेन की थी तो FIR दर्ज होने के बाद उसकी कॉपी वहां के मुंशी ने ही उन्हें दी थी। कॉपी के अनुसार, 25 जून को FIR नंबर 235/23 दर्ज कर ली गई थी। इस केस में IPC की धारा 363 और 366A का इस्तेमाल किया गया। जांच करने के लिए सब-इंस्पेक्टर विजय कुमार को जिम्मेवारी सौंपी गई।
चौंकाने वाली बात ये है कि जिस तरह से FIR की डिटेल्स अंग्रेजी में मां के कंप्लेन पर लिखी गई है, ठीक वही चीज कोर्ट से निकाले गए पिता के नाम वाले कंप्लेन के सर्टिफाइड कॉपी पर भी मिले।
दोनों कंप्लेन पर अंग्रेजी की लिखावट बिल्कुल एक जैसी है। मामला सामने आने के बाद भास्कर की टीम ने स्टेट क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (SCRB) के वेबसाइट को खंगाला। वहां पर भी लड़की के मां की कंप्लेन की जगह पिता के नाम वाली कंप्लेन अपलोड मिली।
24 हजार रुपए ठगने का आरोप
केस की जांच करने वाले सब-इंस्पेक्टर विजय कुमार के ऊपर लापता लड़की की मां और पिता ने दूसरा गंभीर आरोप भी लगाया है। इनके अनुसार बेटी को सही सलामत बरामद करने के नाम पर बतौर रिश्वत 24 हजार रुपए ठगने का भी आरोप है।
पिता के अनुसार, 4 हजार रुपए उनसे लिए। फिर दूसरी बार 20 हजार रुपए लिए। इसके लिए कांटी फैक्ट्री स्थित पंजाब नेशनल बैंक के ब्रांच तक वो गए। बैंक के बाहर रूके। पत्नी ने रुपए अकाउंट से निकाले और उसके बाहर आते ही उन्होंने रुपए ले लिया।
इनका दावा है कि अगर बैंक के बाहर लगे CCTV कैमरे की जांच की जाए तो फुटेज मिल जाएगा। आश्चर्य वाली बात ये है कि रुपए ठगने के बाद विजय कुमार ने लड़की के पिता और मां का कॉल रिसीव करना भी बंद कर दिया था।
थानेदार और IO पर बनता है आपराधिक मामला
इस पूरे मामले में समाजसेवी बब्लू प्रकाश पीड़ित परिवार की मदद कर रहे हैं। बब्लू प्रकाश ने बताया कि इस केस के नामजद आरोपियों को बचाने के लिए बड़ी साजिश रची गई। इस पूरे प्रकरण में थानेदार और IO की भूमिका संदिग्ध है।
इनके भूमिका की जांच होनी चाहिए और दोष साबित होने पर दोनों खिलाफ आपराधिक मुकदमा चलना चाहिए। SSP ने पूरे मामले को गंभीरता से लिए और लगे हाथ पटना सिटी के SDPO को बहादुरपुर के थानेदार और केस के IO को अपने ऑफिस बुलाकर जांच करने को कहा।
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