बच्चों के दिमाग में आखिर क्या-क्या चलता है यह बस वो ही बता सकते हैं, शैतानियों तक तो मामला संभाला जा सकता है लेकिन जब बच्चे गलत दिशा में चलने लगते हैं तो उन्हें सजा देकर ही सुधारने की जरूरत होती है ताकि उनके अंदर अनुशासन बना रहे।
लॉकडाउन के बाद खुले स्कूल से परेशान
पश्चिमी ओडिशा के एक उच्च माध्यमिक विद्यालय के एक छात्र ने कुछ ऐसी ही हरकत की जिसके कारण 20 अन्य बच्चों की जान जोखिम में डाल दी। लॉकडाउन के बाद फिर से खुले स्कूल से छात्र इतना परेशान हो गया कि स्कूल को फिर से बंद करवाने के लिए बच्चे ने गलत रास्ते का सहारा लिया । उसने अपने साथ पढ़ने वाले 20 बच्चों को पानी में जहर मिला कर पिला दिया।
बच्चे खतरे से बाहर है
पानी पीने के बाद बच्चों की तबियत बिगड़ने लगी और स्कूल ने उनके परिवार वालों को बुलाया। प्राथमिक उपचार के लिए बच्चों को अस्पताल ले जाया गया जहां डॉक्टरों ने उनका इलाज कर जहर को शरीर से बाहर निकाला। सारे बच्चे अभी खतरे से बाहर हैं.
बच्चो में ऐसी मानसिकता की वजह
प्रताड़ना शारीरिक हो या मानसिक, वह किसी को भी टेंशन में ले जा सकती है। फिर बच्चों का मन तो बहुत कोमल होता है और वे इससे जूझने में सक्षम नहीं होते। वह ऐसी स्थिति को कंट्रोल भी नहीं कर पाते। ऐसे में वह गुमसुम रहने लगते हैं। बच्चों के साथ स्कूल में या घर में कहीं भी इस तरह की स्थिति हो सकती है। कभी-कभी पैरंट्स ही बच्चों को मारने-पीटने लगते हैं। खुद पर ही नहीं, घर में दूसरों के साथ टॉर्चर का असर भी बच्चों पर पड़ता है जो उसे तनाव में ले जा सकता है।जिसका असर उनके दिलों पर पड़ता है और वो गलत रास्ता अपना लेते हैं।
Article by- Nishat Khatoon
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