कोल्हान में इस बार भी मानसून के देरी से पहुंचने की संभावना है। कोल्हान के साथ प्रदेश में इसके जून के आखिरी सप्ताह तक पहुंचने का अनुमान है। राज्य में जब भी मानसून देरी से आया है, यहां सामान्य से कम बारिश हुई है और इसका असर धान की बुआई पर सबसे ज्यादा असर पड़ा है। कोल्हान में पिछले सात सालों से मानसून के देर से दस्तक देने का सिलसिला चल रहा है। मानसून में 1022.9 मिमी बारिश को सामान्य माना जाता है।
मौसम विभाग के मुताबिक 2013 से अब तक हर वर्ष मानसून जून के पहले से तीसरे सप्ताह के बीच कोल्हान में प्रवेश किया था। हालांकि 2016 व 2021 इस सूची में शामिल नहीं है। इन दोनों वर्षों में मानसून की दस्तक देरी से शुरू हुई थी और इसके कारण सामान्य से कम बारिश हुई है। 2018 में मानसून सबसे ज्यादा देरी से 26 जून को झारखंड में पहुंचा था और उस बार सबसे कम 784.4 मिमी बारिश हुई थी। 2022 में 18 जून को मानसून ने झारखंड में प्रवेश किया था, यानी छह दिन लेट मानसून आया था। उस साल पूरे मानसून सीजन में 817.6 मिमी बारिश हुई थी। समय पर बारिश न होने पर बुआई प्रभावित हुई। पूर्वी सिंहभूम को छोड़कर 22 जिलों के 226 प्रखंडों को सूखाग्रस्त घोषित किया था। एक अनुमान के मुताबिक उस साल करीब 30 लाख किसान प्रभावित हुए थे।
मानसून के देरी से आने की संभावनाओं से किसानों की चिंता बढ़ने लगी
इस बार मानसून के देरी से आने की संभावनाओं से किसानों की चिंता बढ़ने लगी है। समय पर बुआई नहीं होने का असर धान के पैदावार पर पड़ेगा। राज्य में करीब 38 लाख हेक्टेयर जमीन खेती लायक है. इनमें से सिर्फ 22.38 लाख हेक्टेयर में ही बुआई हो पाती है। तीन लाख हेक्टयेर में होती है धान की खेती : कोल्हान में तीन लाख हेक्टेयर में धान की होती है। कृषि विभाग के आंकड़ों के मुताबिक, 5.75 मिट्रिक टन धान का उत्पादन का लक्ष्य रखा जाता है।
केरल में मानसून लेट होने की वजह से झारखंड में भी मानसून देरी से पहुंचेगा। उम्मीद है कि 18 से 19 जून तक मानसून झारखंड में पहुंच जाएगा।-अभिषेक आनंद, वैज्ञानिक, मौसम केंद्र रांची
लगातार छह, सात साल से मानसून देर से आ रहा है तो किसान भी उसी तरह की बुआई की तैयारी करते हैं। वैसे भी किसान कम बारिश वाले धान के बीज की ही बुआई पर जोर दे रहे हैं।-मिथिलेश कालिंदी, जिला कृषि पदाधिकारी, पूर्वी सिंहभूम
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