दिल्ली की एक अदालत ने झारखंड की बृंदा, सिसई और मेराल कोयला खदान आवंटन से जुड़े धनशोधन के मामले में तीन आरोपियों को आरोप मुक्त कर दिया। कोयला मंत्रालय से गलत तरीके से खदान आवंटन पत्र प्राप्त करने के बाद कथित तौर पर 650 करोड़ के धनशोधन मामले में मनोज जायसवाल, रमेश जायसवाल एवं अभिजीत इंफ्रास्ट्रक्टर लि. को आरोपी बनाया था।
पेश किए गए सबूतों में ऐसी कोई सामग्री नहीं
अदालत ने कहा कि उसके समक्ष पेश किए गए सबूतों में ऐसी कोई सामग्री नहीं है, जिससे पता चले कि आरोपी धनशोधन के मामले में संलिप्त थे। इस मामले में इस बात की जांच करने की जरूरत थी कि क्या अभिजीत इंफ्रास्ट्रक्चर लि. ने एसबीआई के नेतृत्व वाले बैंकों के कंसोर्टियम से धोखाधड़ी का अपराध किया।
यह प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) पर है कि वह इस पर विचार करे और फैसला करे कि मामले को आगे ले जाना है या नहीं। ईडी ने आरोप लगाया था कि कंपनी ने अपने मूल्य से कई गुना अधिक प्रीमियम पर शेयर आवंटित किए और कोयला खदान आवंटित होने के बाद अपनी कुल संपत्ति आवंटन से पहले 30 करोड़ रुपए से बढ़ाकर लगभग 750 करोड़ रुपए कर दी। बढ़ी हुई संपत्ति के आधार पर उसने बैंकों से भारी-भारकम ऋण प्राप्त किया। खदान का आवंटन रद्द होने के बाद साल 2018 में अभिजीत समूह की कुल संपत्ति घटकर ऋणात्मक रूप से 69 करोड़ रुपए रह गई।
सीबीआई प्राथमिकी के आधार पर ईडी ने दर्ज किया था मामला
केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने कथित तौर पर जाली दस्तावेजों का उपयोग करके स्क्रीनिंग कमेटी व इस्पात मंत्रालय और कोयला मंत्रालय के समक्ष कंपनी की गलत जानकारी देकर खदान आवंटन प्राप्त करने के मामले में प्राथमिकी दर्ज की थी। उसके आधार पर ईडी ने धनशोधन का मामला दर्ज किया था।
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