झारखंड के सरकारी स्कूल में इन दिनों योग्यात्मक मूल्यांकन की परीक्षा चल रही है. स्कूलों में कक्षा 1 से 7 तक के बच्चों की यह परीक्षा 6 जून से ली जा रही है. सुबह 8 बजे से 9:30 तक यह परीक्षा ली जानी है, लेकिन इस परीक्षा के दौरान गिरिडीह में लापरवाही देखने को मिली है. सोमवार को ली जा रही परीक्षा का प्रश्नपत्र ही स्कूल को कम दिया गया. इससे स्कूल प्रबंधन को काफी फजीहत झेलनी पड़ी हैं. प्रधानाध्यापक और शिक्षक को प्रश्नपत्र की फोटोकॉपी निकालनी पड़ी और इस चक्कर में एक घंटे का समय गुजर गया. मामला गिरिडीह जिले के सदर प्रखंड अंतर्गत उत्क्रमित उच्च विद्यालय महेशलुंडी का है.
सभी विद्यार्थियों को जब प्रश्नपत्र नहीं मिला लगा तो विद्यालय के प्रधानाध्यापक हेमंत और अन्य शिक्षक प्रश्नपत्र की छायाप्रति करवाने दुकान पहुंचे और यहीं पर सभी प्रश्नों की छाया प्रति निकलवाई. प्रधानाध्यापक ने बताया कि कक्षा 3, 4 और 5 का प्रश्नपत्र कम दिया गया. ऐसे में परेशानी हुई और परीक्षा एक घंटा विलंब से शुरू हुआ.
सरकारी स्कूलों की शिक्षा व्यवस्था की पोल खोल कर रख दी
आज की घटना ने गिरिडीह जिले के सरकारी स्कूलों की शिक्षा व्यवस्था की पोल खोल कर रख दी है. सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या शिक्षकों को पता ही नहीं है कि स्कूल में कितने छात्र एवं छात्राएं हैं. कैसे प्रश्न पत्र कम पड़ गए. दुर्भाग्य ये है कि सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले गरीब माता-पिता के बच्चों का पढ़ाई लिखाई तो चौपट है ही, यहां तक की अब परीक्षा भी ढंग से नहीं हो पाता है. प्रश्न पत्र जेरॉक्स करवाने में 1 घंटे से अधिक समय लग गया. बच्चों को एग्जाम विलंब से देने पड़ा. आखिर इसके लिए जिम्मेदार कौन है शिक्षक या शिक्षा विभाग के अधिकारी.
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