झारखंड के नगर विकास विभाग की तीन एजेंसियों में बगैर पैसे का कोई काम नहीं होता है. ये एजेंसियां हैं नगर निगम, क्षेत्रीय विकास प्राधिकार (आरआरडीए) और झारखंड रीयल इस्टेट रेग्यूलेटरी अथोरिटी (झारेरा). इनमें किसी भी तरह का नक्शा पास कराने के लिए पहले तो निर्धारित शुल्क के अलावा ऊपरी रकम प्रति वर्ग फीट के आधार पर ली जाती है. आरआरडीए नगर निगम क्षेत्र से बाहर का नक्शा पास करता है, वहीं नगर निगम की ओर से शहरी क्षेत्र के वार्डों का घरेलू और व्यावसायिक भवन प्लान पारित किया जाता है.
2017-18 से झारखंड में नगर विकास विभाग की तीसरी एजेंसी भी अस्तित्व में आयी, जिसका नाम था झारखंड रीयल इस्टेड रेग्यूलेटरी अथोरिटी (झारेरा). इस एजेंसी के अनापत्ति प्रमाण पत्र के नहीं मिलने से कोई भी रीयल इस्टेट डेवलपर्स, बिल्डर्स और अन्य अपने घर, फ्लैट की बक्री नहीं कर सकता है. झारखंड के तमाम बिल्डरों, रीयल इस्टेट डेवलपर्सों को झारेरा से निबंधित होना भी जरूरी किया गया है. तीनों एजेंसियों में किसी भी प्रकार की गड़बड़ी को लेकर अपीलीय प्राधिकरण भी गठित की गयी है.
रांची नगर निगम में 25 से 27 रुपये वर्ग फीट की दर से ली जाती है घूस की रकम
रांची नगर निगम में 25 से 27 रुपये प्रति वर्ग फीट की दर से घूस की रकम ली जाती है. इसके अलावा सर्टिफाइड आर्किटेक्ट के जरिये भवन प्लान की स्वीकृति का आवेदन शुल्क के साथ जमा करना पड़ता है. यदि किसी बिल्डर को 30 हजार से 35 हजार वर्ग फीट का जी प्लस 4 का बहुमंजिली इमारत बनाना है. तो पहले उन्हें दो लाख रुपये का शुल्क देना पड़ता है. इसके अलावा सात से आठ लाख रुपये की घूस की रकम नक्शा पारित होने के पहले देना पड़ता है. रांची नगर निगम में तीन नगर निवेशकों की पोस्टिंग भी सरकार ने कर रखी है, जिसमें एक मुख्य नगर निवेशक और दो सहायक नगर निवेशक हैं. सभी को अलग-अलग जिम्मेवारी सौंपी गयी है, जो अलग-अलग वार्डवार है.
घूस लेने की प्रतिक्रिया सिर्फ रांची नगर निगम की ही नहीं बल्कि झारखण्ड के दूसरे जिलों में भी चालु है. काम रुकवाने की धमकी, नक्शा न पास करने की धमकी या इससे संतुष्टि न हो तो नक्शा विचलन कर काम रुकवा देना.और जब तक आप पैसा जमा नहीं करते आपका काम रुका रहेगा . मजबूरी में आकर ना चाहते हुए भी इनकी डिमांड पूरी करनी होती है.
क्षेत्रीय विकास प्राधिकार (आरआरडीए) की भी रकम फिक्स्ड
इसी प्रकार क्षेत्रीय विकास प्राधिकार (आरआरडीए) की भी रकम फिक्स्ड है. यहां भी नगर निवेशक के पद पर सहायक अभियंताओं की पोस्टिंग की गयी है. रांची नगर निगम के तत्कालीन चर्चित नगर निवेशक रामकुमार सिंह के पुत्र स्वपनिल मयूरेष भी यहीं पदस्थापित हुए हैं. यहां भी शहरी क्षेत्र से बाहर के नक्शे जैसे टाटीसिलवे, बीआइटी मेसरा, कांके का रूरल एरिया, खूंटी, लोहरदगा और आसपास के इलाकों जो नगर निगम से बाहर हैं, वहां पर आरआरडीए सक्रिय है. यहां भी नगर निगम की तरह भवनों का प्लान स्वीकृत करने के लिए 20 से 25 रुपये प्रति वर्ग फीट की दर से वसूली की जाती है.
झारेरा का गठन 2016-17 में झारखंड में किया गया था. यहां पर अध्यक्ष के पद के अलावा एक अपीलीय न्यायाधीकरण भी है. झारेरा के अध्यक्ष नगर विकास विभाग के सचिव होते हैं. झारेरा के गठन के बाद से 375 से अधिक भवन प्लान को रीजेक्ट कर दिया गया है. झारेरा में सूचिबद्ध एजेंटों में मधुकम रांची के कमल भूषण, डॉ डीपी आर्या के पुत्र पवन आर्या और लुधियाना की अदिति गुप्ता शामिल हैं. इसके अलावा भाजपा के एक नेता विजय कच्छप का भी नाम शामिल है. झारेरा में अब नियमित टाउन प्लानर की पोस्टिंग की जायेगी. इसके लिए पद सृजित कर दिया गया है. झारेरा से एनओसी लेने के लिए न्यूनतम एक लाख रुपये का चढ़ावा देना पड़ता है. इसकी सारी जवाबदेही वहां पर पोस्टेड नीरज श्रीवास्तव की है, जो सहायक अभियंता हैं.
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