राज्य के वकीलों का अनिश्चितकालीन आंदोलन जारी रहेगा। वकील मंगलवार तक न्यायिक कार्य से खुद को दूर रखेंगे। रविवार को बार काउंसिल की सभी जिलों के बार संघों के प्रतिनिधियों के साथ हुई बैठक में यह निर्णय लिया गया। बैठक का आयोजन बार काउंसिल कार्यालय में किया गया। इसमें शनिवार को मुख्यमंत्री की ओर से की गई घोषणाओं पर भी चर्चा की गई। काउंसिल ने कहा कि घोषणाएं पूरी करने के लिए सरकार को समय सीमा बतानी चाहिए।
बार काउंसिल ने जो मांगें रखी हैं उसे भी उसमें शामिल करें। सभी बिंदुओं को शामिल करने के बाद सरकार इसे कब तक लागू करेगी इसकी जानकारी बार काउंसिल को दे। इसके लिए सरकार को 2 दिन का समय दिया गया है। मंगलवार की शाम को बार काउंसिल की बैठक होगी, इसमें आगे की रणनीति बनेगी। कोर्ट फीस कर करने एवं अन्य मांगों को लेकर राज्य के वकील 6 जनवरी से न्यायिक कार्य नहीं कर रहे हैं।
बाबूलाल मरांडी ने सरकार पर उठाए सवाल
बीजेपी विधायक दल के नेता और प्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने वकीलों की हड़ताल पर टिप्पणी करते हुए कहा है कि झारखंड बार काउंसिल ने निर्णय लिया है कि मंगलवार तक राज्यभर के अधिवक्ता न्यायिक कार्य से अलग रहेंगे। निश्चित रूप से इसका सीधा असर आम लोगों पर रहेगा। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन जी! हठ छोड़िए। फिर कह रहा हूं। कम से कम वकील, डॉक्टर और प्रोफेसर जैसे समाज के प्रबुद्ध वर्गों के साथ फूट डालने की गंदी राजनीति मत कीजिए। लिखकर ले लीजिए। जो आपसे यह खेल खेलवा रहे हैं वो आपके हितैशी नहीं बल्कि दुश्मन हैं। बाबूबाल मरांडी ने सीएम हेमंत सोरेन से कहा कि वकीलों के समूह बार काउंसिल को विश्वास में लेकर उनकी मांगों पर अविलंब निर्णय लीजिए वरना ये गले का फांस बनेगा।
सरकार ने वकीलों के लिए क्या घोषणा की थी!
गौरतलब है कि अधिवक्ताओं के समक्ष सरकार ने घोषणा की थी कि वकीलों और उनके परिवार वालों को 5 लाख का स्वास्थ्य दुर्घटना बीमा दिया जाएगा। पेंशन में बराबर की राशि देने और सभी जिलों में आधुनिक बार कॉम्प्लेक्स बनाने की घोषणा की जाएगी। अधिवक्ता सुरक्षा कानून के लिए दूसरे राज्यों में लागू एक्ट का अध्ययन करने के बाद निर्णय लिया जाएगा कोर्ट फीस में कमी का रास्ता निकाला जाएगा।
सरकार की घोषणाओं से संतुष्ट नहीं है बार काउंसिल
बार काउंसिल का कहना है कि पहले भी सरकार ने ऐसी घोषणा की। अधिवक्ता सुरक्षा कानून का प्रारूप बनाकर सरकार को बार काउंसिल को सौंपा है लेकिन 3 साल में कोई निर्णय नहीं लिया गया। वकीलों के कल्याणकारी योजनाएं के लिए बजटीय प्रावधान करने के मामले में मुख्यमंत्री ने कुछ नहीं कहा है। इस बार काउंसिल इन घोषणाओं को अमल में लाने के लिए सरकार कितना समय लेगी इसकी जानकारी चाहता है। सरकार को औपचारिक रूप से बार काउंसिल को इसकी जानकारी देनी होगी।
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