धनबाद जिला परिषद में नियमों की अनदेखी कर 7 करोड़ 62 लाख रुपए के गलत भुगतान मामले के आरोपी अधिकारियों पर केस दर्ज करने के आदेश को वापस लेने से झारखंड हाईकोर्ट ने इंकार कर दिया है। इस मामले में सांसद-विधायक निधि से विकास योजनाओं के लिए राशि का भुगतान किया गया था। जस्टिस एसके द्विवेदी की अदालत में दायर याचिका पर सुनवाई की।
कोर्ट ने 7 मार्च को अधिकारियों पर एसीबी को प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दिया था l मंगलवार को समाज कल्याण निदेशक एके दोड्डे, बोकारो डीसी कुलदीप चौधरी और खूंटी के डीसी शशि रंजन ने आवेदन देकर कोर्ट से आदेश वापस लेने का अगला किया था। कोर्ट ने पदाधिकारियों के आवेदन को अस्वीकार करते हुए एडीजी को आदेश दिया है कि 1 हफ्ते में इसकी रिपोर्ट अदालत को प्रस्तुत किया जाए।
7 करोड़ 62 लाख रुपए का भुगतान नियमों की अनदेखी
पिछली सुनवाई में मामले के वादी जिला परिषद अध्यक्ष रोबिन चंद्र गुड़ाई के अधिवक्ता शैलेश कुमार सिंह ने कोर्ट को बताया था कि धनबाद जिला परिषद की एमपी एमएलए निधि से 7 करोड़ 62 लाख रुपए का भुगतान नियमों की अनदेखी करते हुए किया गया। तत्कालीन डीसी, डीडीसी तथा जिला अभियंताओं की मिलीभगत का आरोप लगाया गया। वहीं महालेखाकार की रिपोर्ट में कहा गया कि पैसों का भुगतान नियम विरुद्ध किया गया। इसके बाद रोबिन ने एंटी करप्शन ब्यूरो से केस दर्ज कर जांच का आग्रह किया था।
लेकिन इस मामले में अभी तक एसीबी की ओर से कुछ नहीं किया गया है। इस पर कोर्ट ने आरोपियों पर केस दर्ज करने का आदेश देते हुए 1 सप्ताह में रिपोर्ट मांगी थी। यह भी जानकारी मांगी गई थी कि धनबाद के तत्कालीन डीडीसी ने कैसे जिला अभियंता को राशि की निकासी के संबंध में पावर डेलीगेट कर दिया था।
इसके लिए पंचायती राज विभाग अथवा वित्त विभाग की ओर से अनुशंसा की गई थी या नहीं? प्रधान महालेखाकार की ऑडिट रिपोर्ट में 7 करोड़ से अधिक राशि का दुरुपयोग करने की बात सामने लाई गई थी।
ऑडिट टीम ने जांच रिपोर्ट सौंपी थी
जिला परिषद से सांसद और विधायक मद की योजनाओं का भी काम होता है । तत्कालीन डीडीसी ने 13 सितंबर 2017 को आदेश जारी कर सांसद और विधायक मद की योजनाओं के भुगतान के लिए जिला अभियंता को अधिकृत कर दिया। जनवरी 2021 में ऑडिटर जनरल की ओर से ऑडिट टीम भेजी गई। टीम ने डीडीसी के इस आदेश को नियम विरुद्ध बताकर सवाल खड़ा कर दिया। ऑडिट टीम ने जांच रिपोर्ट में बताया कि पंचायती राज अधिनियम के अनुसार सांसद और विधायक मद की योजनाओं के लिए भुगतान करने का अधिकार कार्यपालक पदाधिकारी को है। नियमों के मुताबिक इस अधिकार को किसी दूसरे अधिकारी में डेलीगेट नहीं किया जा सकता।
ऑडिट रिपोर्ट में बताया गया कि 2017 से 2021 तक की अवधि में 7 करोड़ से अधिक की राशि का भुगतान दो चीफ इंजीनियर के दस्तखत से हुआ। इस अवधि में जिले में डीडीसी भी पदस्थापित थे। अब यह जांच का विषय बन गया है।
इन अधिकारियों को रिपोर्ट में माना गया है जिम्मेवार
कुलदीप चौधरी तत्कालीन डीडीसी सह वर्तमान में बोकारो डीसी, ए दोड्डे, तत्कालीन डीसी सह प्रभारी डीपीसी, शशी रंजन तत्कालीन डीडीसी धनबाद, वर्तमान डीसी खूंटी, बालकिशन मुंडा, तत्कालीन डीडीसी धनबाद और दशरथ चंद्र दास, तत्कालीन डीडीसी धनबाद।
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