झारखंड की राजधानी रांची में जगन्नाथपुर रथयात्रा के ऐतिहासिक मेले पर प्रशासनिक रोक से आम लोगों के साथ-साथ पुश्तैनी कारीगरों की बेचैनी बढ़ गयी है. पिछले तीन साल से रथमेला का इंतजार कर रहे कारीगरों को हालांकि झारखंड हाईकोर्ट के फैसले का इंतजार है. साथ ही उन्होंने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से भी इसको लेकर गुहार लगाई है.
रांची के धुर्वा में भगवान जगन्नाथ के रथ निर्माण की तैयारियां जितनी तेज है, ठीक उतनी ही मेले को लेकर कारोबारियों की धड़कनें भी तेज हो चली हैं. दो जून को जिला प्रशासन और आपदा प्रबंधन की बैठक में मेले पर रोक के साथ-साथ दुकानों को नहीं लगाने का फैसला लिया गया है, जिसको लेकर स्थानीय पुश्तैनी कारोबारियों की मायूसी भी साफ झलकने लगी है.
रथ मेला पर 24 जून को होनी है सुनवाई
बता दें, रांची के तुपुदाना के सतरंजी बाजार का सीधा कनेक्शन रांची के जगन्नाथपुर रथ मेले से है. दरअसल इस बाजार के कई पुश्तैनी कारीगर अपना पूरा साजो सामान लेकर साल में एक बार रथ मेले में पहुंचते हैं, जहां उन्हें भरपूर आमदनी होती है. दरअसल मेले में कई ऐसे खरीदार भी पहुंचते हैं जो अपनी पारंपरिक और खेतिहर सामानों से जुड़ी जरूरतों को लेकर यहां जमकर खरीदारी करते हैं. इस मेले में कई ऐसे सामान भी मिल जाते हैं जो आमतौर पर आपको दूसरे बाजार हाटों में नजर नहीं आते हैं. ऐसे में सतरंजी बाजार के दुकानदारों ने अपनी उम्मीदें झारखंड हाईकोर्ट से बांध रखी है, जिस पर 24 जून को कोर्ट में सुनवाई होनी है.
जानें इस मेले की खासियत
शतरंजी बाजार में पारंपरिक हथियार और खेती बारी के औजार की दुकान लगाने वाले सद्दाम ने बताया कि उनके दादा के समय से ही जगन्नाथपुर रस मेले में उनकी दुकान लगती रही हैं, जहां किसान कुदाली, टांगी हसुआ और खुरपी की जमकर खरीदारी करते हैं. इसके अलावा उनके दुकान से गुलेल की बिक्री भी खूब होती है. बात परंपरागत हथियार, खेती से जुड़े औजार या फिर बांस से बने सामानों की, तमाम पुश्तैनी कारीगरों की आमदनी का इंतजार इसी जगन्नाथपुर मेले में पूरा होता है. लिहाजा लोगों को इंतजार है भगवान जगन्नाथ के उस बुलावे का जो कोर्ट या फिर सरकारी फैसले के रूप में आना है.
सतरंजी बाजार में बांस के बने सामानों को बेचने वाले आनंद ने बताया कि दो साल से मेला नहीं लगा पाने के कारण आमदनी बुरी तरह प्रभावित हुई है. आनंद ने बताया कि नौ दिनों के जगन्नाथपुर रथमेले में आमदनी इतनी ज्यादा होती है कि परिवार के लिए छह महीने तक की पूंजी खड़ी हो जाती है.
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