झारखंड में लोहार जाति ओबीसी की श्रेणी में ही शामिल रहेगी। उन्हें एसटी में शामिल करने की दलील हाईकोर्ट ने खारिज कर दी है। मंगलवार को जस्टिस राजेश शंकर की अदालत ने झारखंड सरकार के उस फैसले को सही बताया जिसमें अगस्त 2019 में लोहार जाति को एसटी की श्रेणी से बाहर करते हुए ओबीसी में शामिल किया गया है। इस आदेश के साथ ही अदालत ने लोहार को एसटी में शामिल करने के लिए दायर याचिका खारिज कर दी।
क्या है पूरा मामला
इस संबंध में दशरथ प्रसाद ने याचिका दायर की थी। याचिका में कहा गया है कि झारखंड सरकार ने लोहार जाति को एसटी की श्रेणी से अलग करते हुए ओबीसी में शामिल कर दिया है। पहले लोहार जाति एसटी में थी। सरकार का यह निर्णय सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन है। सरकार की ओर से अपर महाधिवक्ता आशुतोष आनंद ने पक्ष रखा।
अदालत का तर्क
अदालत को बताया कि राज्य सरकार का निर्णय बिलकुल सही है। सुप्रीम कोर्ट ने भी माना था कि लोहरा और लोहार ही एसटी कैटेगरी में होंगे। हिंदी में लोहार होने की वजह से उक्त जाति को एसटी कैटेगरी का दर्जा दिया गया था, जो सही नहीं है। अदालत ने राज्य सरकार की दलीलों को स्वीकार करते हुए प्रार्थी की याचिका को खारिज कर दी। अदालत ने अपने आदेश में माना कि लोहार जाति ओबीसी श्रेणी के ही मानी जाएगी।
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