झारखंड के 3428 जर्जर स्कूल भवन टूटेंगे। लेकिन शिक्षा विभाग इसके लिए कोई राशि खर्च नहीं करेगी। विभाग के पास इस मद में कोई पैसा नहीं है। आदेश में कहा गया है कि इन स्कूलों के मैटेरियल बेचकर स्कूल मैनेजमेंट कमेटी मजदूरों और जेसीबी का भुगतान करेगी। झारखंड शिक्षा परियोजना ने राज्य में ऐसे 4481 स्कूलों की पहचान की है, जो अत्यंत जर्जर हो चुके हैं। इन स्कूलों को तोड़ने का आदेश शिक्षा विभाग ने दे दिया है, पर तोड़ने के पहने भवन निर्माण विभाग से इसकी अनुमति जरूरी है।
इसमें हो रहे विलंब के कारण जर्जर स्कूल भवनों को तोड़ने की गति धीमी पड़ी हुई है। 4481 जर्जर स्कूलों में से हाल में 1053 स्कूल तोड़े गए हैं। 2133 जर्जर स्कूलों को तोड़ने की अनुमति मिल चुकी है, जबकि 2299 स्कूलों को तोड़ने की अनुमति मिलना अभी बाकी है।
कहीं खुद गिर रहे स्कूल भवन, कहीं डरावनी स्थिति
चाईबासा के मेघाहाताबुरू स्थित प्लस टू स्कूल पिछले सप्ताह ढह गया। वैसे इस जर्जर भवन को गिराने का आदेश हो चुका था, पर इससे पहले ही यह बिल्डिंग गिर गई। गनीमत यह कि इस दौरान कोई बच्चा इस स्कूल भवन में नहीं था। पाकुड़ जिले के पाकुड़िया प्रखंड से लगभग 15 किलोमीटर पर स्थित प्राथमिक विद्यालय मड़गांव की स्थिति भी ऐसी ही है। यहां के बच्चे क्लासरूम में न जाकर बरामदे में ही पढ़ते हैं। गुमला जिले के घट्ठासतपारा प्राथमिक विद्यालय को इसलिए बंद कर दिया गया है कि वह कभी भी गिर सकता है। यह स्कूल पड़ोस के लट्ठा गांव में शिफ्ट कर दिया गया है।
हेडमास्टर नहीं, विद्यालय प्रबंधन कमेटी को दिया गया दायित्व
स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग के सचिव के. रवि कुमार ने बताया कि स्कूल भवन तोड़ने का काम हेडमास्टरों को नहीं, विद्यालय प्रबंधन कमेटी को दिया गया है। मजदूरों और जेबीसी का भुगतान तोड़े गए स्कूलों के मैटेरियल बेचकर दिया जाएगा। बची राशि कोषागार में जमा करने का निर्देश दिया गया है।
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