जिले के करीब 900 सरकारी और प्राइवेट डॉक्टरों के 24 घंटे के कार्य बहिष्कार के कारण बुधवार को मरीज बेहाल रहे। एमजीएम और सदर अस्पताल की ओपीडी में करीब 1400 मरीज को बिना इलाज के लौटना पड़ा। हालांकि, इमरजेंसी सेवाओं को आंदोलन से मुक्त रखा गया था। दोनों सरकारी अस्पतालों से बुखार, सर्दी-खांसी समेत अन्य मौसमी बीमारियों के मरीज इलाज के लिए भटकते रहे। आईएमए और झासा के संयुक्त आह्वान पर बुधवार सुबह 6 बजे से डॉक्टरों का कार्य बहिष्कार शुरू हुआ, जो गुरुवार सुबह 6 बजे तक चलेगा। इस दौरान प्राइवेट अस्पताल और नर्सिंग होम में भी डॉक्टरों ने सामान्य मरीजों को नहीं देखा। ज्यादातर मरीजों को हड़ताल के बारे में सूचना नहीं थी, इस कारण अस्पताल वे पहुंच गए, लेकिन उन्हें बिना इलाज के ही लौटना पड़ा।
एमजीएम में रजिस्ट्रेशन के बाद इलाज नहीं होने पर हंगामा
एमजीएम अस्पताल में सुबह करीब 200 मरीजों का रजिस्ट्रेशन हो चुका था, लेकिन उनका ओपीडी में इलाज नहीं हुआ। कार्य बहिष्कार की सूचना अस्पताल प्रबंधन को नहीं थी। इस कारण मरीजों ने कुछ देर के लिए हंगामा भी किया। डॉक्टरों के चैंबर में नहीं रहने के कारण मरीजों को निराशा हाथ लगी। उधर, सदर अस्पताल के मुख्य गेट पर आज ओपीडी बंद है की सूचना लगा दी गई थी। अस्पताल का मुख्य गेट भी बंद था। वहां तैनात होमगार्ड जवान मरीजों को यह कह कर लौटा रहे थे कि आज हड़ताल के कारण इलाज नहीं होगा, कल आना।
इमरजेंसी में चार डॉक्टर कर रहे थे इलाज
सदर और एमजीएम अस्पताल की इमरजेंसी में चार डॉक्टरों की तैनाती थी, जो मरीजों का इलाज कर रहे थे। इस दौरान पोटका से सड़क हादसे में घायल एक युवक आया तो उसका एमजीएम में इलाज हुआ। करनडीह से बेहोशी की हालत में एक मरीज सदर अस्पताल पहुंचा। डॉक्टर ने उसका भी इलाज किया।
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