ब्रह्मांड के डार्क मैटर रहस्य को समझने के लिए आज हम आपको ‘पाताल’ में लिए चलते हैं। हम हैं धरातल से 555 मीटर नीचे देश की इकलौती डार्क मैटर लैब में। यह डार्क मैटर लैब जादूगोड़ा में बंद पड़ी एक यूरेनियम खदान में है। 2 सितंबर 2017 में बनी इस लैब में देश के 8 शीर्ष परमाणु व भौतिक विज्ञान शोध संस्थानों के 20 वैज्ञानिक ब्रह्मांड के रहस्यों को सुलझाने में लगे हैं। यह लैब भारतीय परमाणु ऊर्जा आयोग के अध्यक्ष के अधीन काम करती है।
लैब के काम का वैल्यूएशन प्रोजेक्ट एप्राइजल कमेटी करती है, जिसके अध्यक्ष डॉ एके मोहंती हैं। वैज्ञानिकों का मानना है कि करोड़ों आकाशगंगाएं, तारे व ग्रह जो भी हमें दिखाई देता है, ब्रह्मांड का सिर्फ 5% हिस्सा है, बाकी 95 फीसदी हिस्सा डार्क मैटर व डार्क एनर्जी से बना है। इसमें डार्क एनर्जी 68 प्रतिशत व डार्क मैटर 27 फीसदी है। डार्क मैटर ही एक ऐसा पदार्थ है, जिसके कारण सभी आकाशगंगाएं बंधी हैं। जीवन की उत्पत्ति हुई। डार्क मैटर कैसा होता है? कैसे प्रभाव डालता है? वैज्ञानिक इसी की खोज में यहां लगे हैं।
उतरने में लिफ्ट को 3 मिनट लगे, कहा गया- लगातार जबड़े चलाते रहिए
यह पहला मौका है जब प्रिंट मीडिया के किसी पत्रकार को लैब तक जाने की अनुमति मिली। मैं वैज्ञानिकों की टीम के साथ था। पहले एप्रॅन व हेलमेट पहनाए गए। जूते वगैरह की जांच के बाद हमें सतह से 555 मीटर नीचे ले जाने वाली लिफ्ट तक ले जाया गया। हमें हेडलाइट दी गई। हम 5 फीट चौड़ी व 8 फीट लंबी लिफ्ट में तेजी से नीचे जाने लगी। हमारे कान बंद होने लगे। सलाह मिली- जबड़ा चलाते रहिए। तीन मिनट बाद लिफ्ट का दरवाजा खुला। सामने 150 फीट लंबी और 15 फीट चौड़ी टनल थी। सामने बोर्ड टंगा था, जिसमें लिखा था-555 एमएल। यानी हम 555 मीटर नीचे थे। सामने थी लैब।
लैब पाताल में क्यों?
वैज्ञानिक डॉ. विवेकानंद झा बताते हैं कि लैब गहराई में बनाई जाती हैं ताकि वायुमंडलीय किरणों व विकिरण का प्रभाव न्यूनतम या नहीं के बराबर हो। दुनिया में ऐसी 5-6 लैब हैं। सबसे गहरी लैब कनाडा में है, जो दो किमी. से भी अधिक है।
लैब में क्या- 20 वैज्ञानिक सौरमंडल से आने वाली हर किरण में अरबों विखंडनों
की ऊर्जा का हिसाब रख रहे, सेकंड के अरबवें हिस्से में उत्सर्जित प्रकाश पर नजर
क्या खोजा? ब्रह्मांड से आ रही सूक्ष्म किरणों को 25 अरब भागों में बांटा गया। इससे उसकी ऊर्जा एक वाट के शंखवें हिस्से तक कम हो गई। एक सेकंड के अरबवें भाग में उत्सर्जित प्रकाश में एक ग्राम के दस लाख शंखवें भाग के बराबर वजन वाले इलेक्ट्रॉन देखे गए। वैज्ञानिकों को क्या सफलता मिली? डॉ. एके मोहंती ने बताया- यह अंतहीन प्रक्रिया है। हमें जो भी नया या अलग मिला है, उसका सारांश 4 अंतरराष्ट्रीय शोध पत्रों व सम्मेलनों में प्रस्तुत किया गया है। डार्क मैटर की ऊर्जा शून्य के करीब है। इस स्तर तक ऊर्जा का विखंडन करेंगे।
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