साकची कब्रिस्तान कमेटी ने साकची में माहौल बिगाड़ने का प्रयास करने और कब्रिस्तान की जमीन पर कब्जा करने की कोशिश के आरोप में साकची थाने में शिकायत दर्ज कराई है। इसमें भाजपा के महानगर अध्यक्ष गुंजन यादव, भाजयुमो के नेता अमित कुमार अग्रवाल के अलावा दशरथ शुक्ला, चिंटू सिंह, किसलय तिवारी, जेएनएसी के विशेष पदाधिकारी संजय कुमार, ग्रेजुएट कॉलेज की प्राचार्या मुकुल खंडेलवाल और दो शिक्षक कमलेश कुमार और राकेश पांडेय को नामजद आरोपी बनाया है।
आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग
कमेटी ने थाने में शिकायत दर्ज कराने के बाद इन आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। साकची कब्रिस्तान कमेटी के अधिवक्ता अखिलेश श्रीवास्तव ने साकची में मोहम्मडन स्पोर्टिंग क्लब के कार्यालय में पत्रकार वार्ता आयोजित कर इस संबंध में जानकारी दी। पत्रकार वार्ता में साकची कब्रिस्तान कमेटी के अधिवक्ता अखिलेश श्रीवास्तव ने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास के समय में ही ग्रेजुएट कॉलेज को साकची कब्रिस्तान के सामने स्थापित किया गया था। उन्होंने कहा कि यह निर्णय गलत था। आज भाजपाई कह रहे हैं कि ग्रेजुएट कॉलेज में लव-जिहाद हो रहा है।
जिला प्रशासन न्यायपूर्ण कार्रवाई नहीं कर रहा
तब उन्होंने ग्रेजुएट कॉलेज को कब्रिस्तान के सामने स्थापित करने का विरोध क्यों नहीं किया। उन्हें इसका विरोध करना चाहिए था। भाजपाई सोचते हैं कि वहां लव-जिहाद हो रहा है तो अब जिला प्रशासन कार्रवाई करते हुए ग्रेजुएट कॉलेज की छात्राओं को बचाए और ग्रेजुएट कॉलेज को वहां से कहीं अन्यत्र स्थानांतरित किया जाए, ताकि छात्राओं को सुरक्षा मिल सके। अधिवक्ता ने कहा कि जिला प्रशासन न्यायपूर्ण कार्रवाई नहीं कर रहा है। साकची में राधा-गोविंद मंदिर की जमीन पर कब्जा कर पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास और उनके साथियों ने व्यावसायिक कांप्लेक्स बना लिया। लेकिन इसके खिलाफ कार्रवाई नहीं की गई। इस व्यावसायिक कांप्लेक्स को क्यों नहीं तोड़ा जा रहा है।
उपायुक्त के खिलाफ कोर्ट जाने की चेतावनी
साकची कब्रिस्तान कमेटी की तरफ से उपायुक्त विजया जाधव को भी नोटिस जारी किया गया है। उनसे पूछा गया है कि पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास और उनके साथियों ने शहर में सरकारी जमीनों पर कब्जा कर अवैध निर्माण कराए हैं, उनके खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं हो रही है। राधा गोविंद मंदिर की जमीन पर बने व्यावसायिक कांप्लेक्स के खिलाफ कार्रवाई करें, वरना उनके खिलाफ हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया जाएगा। उन्होंने कहा कि डीसी ने किस अधिकार के तहत कब्रिस्तान परिसर में हो रहे निर्माण की जांच के लिए कमेटी बनाई है। उन्होंने कहा कि जब जेएनएसी ने नोटिस दिया है तो यह जांच का अधिकार जेएनएसी को ही है। फिर जब वह जमीन टाटा स्टील कमांड एरिया में नहीं आती तो वहां जांच क्यों कराई जा रही है।
अखिलेश श्रीवास्तव ने कहा कि डीसी और जेएनएसी के विशेष पदाधिकारी संजय कुमार टाटा स्टील के बंगले में ही रह रहे हैं। टाटा स्टील का बिजली-पानी इस्तेमाल कर रहे हैं तो फिर उनसे न्याय की उम्मीद कैसे की जा सकती है। उन्होंने इससे पहले जेएनएसी के विशेष अधिकारी को भी नोटिस दिया था और पूछा था कि वह जेएनएनसी किस कानून के तहत बनी है और उन्होंने झारखंड अपार्टमेंट एक्ट के तहत कब्रिस्तान कमेटी को नोटिस दिया है। क्या कब्रिस्तान भी झारखंड अपार्टमेंट एक्ट के तहत आता है। क्या कब्रस्तान एक अपार्टमेंट है। अखिलेश श्रीवास्तव ने बताया कि इसका विशेष पदाधिकारी ने अब तक कोई जवाब नहीं दिया है।
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