मोहर्रम की दसवीं पर कर्बला के शहीदों और इमाम हुसैन को याद करते हुए शहर के 84 अखाड़ों से ताजिया के साथ मुस्लिम समुदाय के लोगों ने जुलूस निकाला। गली मोहल्लों से निकलकर चौक-चौराहों पर पहुंचकर डंका बजाया और करतब दिखाए। बारिश के बीच तलवार, लाठी, खंजर, ट्यूब लाइट और आग के खतरनाक खेल भी दिखाए। हर अखाड़ों से एक ही सदा गूंज रही थी …कत्ल ए हुसैन असल में मर गए यजीद हैं, इस्लाम जिंदा होता है, हर कर्बला के बाद। जुगसलाई, शास्त्रीनगर, रानीकुदर, सोनारी, बिष्टूपुर की कई अखाड़ा कमेटियों ने ताजिया भी निकाला।
आकर्षण का केंद्र रहा ताजिया
इमामबाड़ों में ताजिया को काफी आकर्षक ढंग से सजाया गया था। नवमी और दसवीं को इमाम हुसैन की याद में लोगों ने रोजा रखा। इधर निशान ठंडा करने के लिए जहां स्थान बनाया गया था वहां पर रोजा रखकर लोग पहुंचे और इफ्तार भी किया। विभिन्न इलाकों में इस बार रैफ को तैनात किया गया था, ताकि कोई घटना न हो। रैफ की शहर के आठ संवेदनशील स्थानों में तैनाती थी। जीनत महल रोड नंबर 13 बी जवाहरनगर में आयोजित लंगर में हजारों लोगों ने हिस्सा लिया। इस अवसर पर टाटा स्टील यूनियन के अरविंद पांडेय, युवा मोर्चा के अध्यक्ष बब्बन राय, झारखंड मुक्ति मोर्चा के केंद्रीय सदस्य पवन, सोहेल मलिक, उमर, इम्तियाज अली, नौशाद, रजी नौशाद आदि मौजूद रहे।
तमाम इलाकों से निकले जुलूस के साथ निशान को साकची पंप हाउस घाट, बिष्टूपुर बेलीवोधनवाला घाट, टेल्को हुडको डैम घाट में ठंडा किया गया।
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