मतदाता सूची में अब साल में चार बार नाम जोड़े जाएंगे। अर्हता की तारीख 1 जनवरी, 1 अप्रैल, 1 जुलाई और 1 अक्तूबर होगी। जन प्रतिनिधित्व अधिनियम 1950 में संशोधन कर यह सुविधा उपलब्ध कराई गई है। इस साल एक अक्तूबर से वोटर लिस्ट में नाम जुड़वाये जा सकेंगे। उप निर्वाचन पदाधिकारी कानू राम नाग ने राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों के साथ सोमवार को समाहरणालय सभागार में आयोजित बैठक में इस आशय की जानकारी दी।
साथ ही बताया कि अब मतदाता सूची को मतदाताओं के आधार नंबर से जोड़ना है। आधार कार्ड नहीं होने की स्थिति में मनरेगा जॉब कार्ड, बैंक-डाकघर पासबुक, श्रम मंत्रालय की स्कीम के अधीन जारी स्वास्थ्य बीमा स्मार्ट कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस, पैन कार्ड, एनपीआई के अधीन आरजीआई द्वारा जारी स्मार्ट कार्ड, पासपोर्ट, फोटोयुक्त पेंशन दस्तावेज, केन्द्र-राज्य सरकार, पीएसयू, पब्लिक लिमिटेड कंपनियों के द्वारा कर्मचारी को जारी सेवा पहचान कार्ड, संसद, विधानसभा और विधान परिषद सदस्यों को जारी शासकीय पहचान पत्र और सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय द्वारा जारी विशिष्ट पहचान परिचय-पत्र (यूडीआईडी) भी मान्य होगा।
अब जो नए मतदाता नाम जोड़ने का आवेदन करेंगे उन्हें तो उसके साथ ही आधार नंबर भी देना है। परंतु जो पहले से मतदाता बने हुए हैं उनसे बीएलओ को आधार नंबर हासिल करना है। इसके लिए सोमवार से अभियान शुरू हो गया है। इसके अलावा पहले सभी प्रकार के काम के लिए पांच प्रकार के फार्म थे। अब उसकी संख्या भी बढ़ गई है। साथ ही कुछ फार्म में बदलाव किये गये हैं।
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