एनआईटी जमशेदपुर ग्रामीण विकास का नया मॉडल तैयार करने की मुहिम में जुटा है। ऐसा मॉडल, जिसमें गांव का आर्थिक विकास, गांव में उपलब्ध संसाधनों से ही किया जा सकेगा। इसके लिए उन्नत भारत अभियान के तहत संस्थान ने गांव को गोद लेकर उक्त गांव के आर्थिक विकास में तकनीकी सहयोग देने की पहल की है। इस पहल के तहत एनआईटी जमशेदपुर गांव के आर्थिक विकास के लिए उन्नत खेती की तकनीक ग्रामीणों को देगा तो वहीं गोबर जैसे अपशिष्ट को भी आर्थिक समृद्धि के मॉडल से जोड़ेगा।
गांवों का स्वायत्त आर्थिक विकास का मॉडल देने के लिए गांवों में आसानी से उपलब्ध गोबर जैसी चीजों को स्वरोजगार व आमदनी का जरिया बनाने की कवायद चल रही है। इसके लिए ग्रामीणों को देसी गाय के गोबर एवं गोमूत्र से बनने वाले भू-सुपोषण एवं किट नियंत्रक बनाने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है, ताकि इससे आमदनी की जा सके। साथ ही खेती-किसानी की उत्पादकता बढ़ाई जा सके। एनआईटी की ओर से ग्रामीणों को गोबर व गोमूत्र से आर्थिक सशक्तीकरण की राह दिखाई गई। बताते चलें कि एनआईटी जमशेदपुर को भारत सरकार के उन्नत भारत अभियान का झारखंड प्रदेश का समन्वयक संस्थान बनाया है।
आर्थिक समृद्धि में मदद की योजना
इसके तहत पूरे झारखंड में शैक्षणिक संस्थानों द्वारा संस्थान के आसपास के गांवों को गोद लेकर उनके आर्थिक समृद्धि में मदद की योजना है। इसी के तहत एनआईटी जमशेदपुर के उन्नत भारत अभियान विभाग ने सरायकेला के पिंडराबेड़ा गांव को गोद लिया है। इस गांव के विकास मॉडल को एनआईटी की टीम डिजाइन कर रही है, जिसमें गांव की अर्थव्यवस्था को स्वायत्त बनाने की कोशिश की जा रही है। इसके लिए एनआईटी जमशेदपुर गांवों की परंपरागत उत्पादों को तकनीक की मदद से बेहतर बनाने की कोशिश की जा रही है। उन्नत भारत अभियान के क्षेत्रीय समन्वयक डॉ. रंजीत प्रसाद (एनआईटी जमशेदपुर) ने बताया कि उन्नत भारत अभियान के माध्यम से शिक्षक, छात्र, प्रशासन एवं सामाजिक हितकारी संस्थाएं एक साथ मिलकर समाज एवं शिक्षा का विकास कर सकती हैं। इसी दिशा में एनआईटी ने कदम बढ़ाए हैं।
गोबर गैस को लेकर भी प्रोजेक्ट
एनआईटी जमशेदपुर के छात्रों द्वारा भी कई ऐसी तकनीक विकसित की गई है, जिससे ग्रामीणों को सशक्त बनने में मदद की जा रही है। मसलन, गोबर गैस से संबंधित प्रोजेक्ट। इसके अलावा गांवों की मदद करने को एनआईटी ने उन्नत चूल्हा भी डिजाइन किया है, जिससे 5 से 20 प्रतिशत तक ऊर्जा की बचत की जा सकती है। संस्थान की कोशिश गांव की मदद करने के लिए तकनीक विकसित करने की है। संस्थान ने ग्रामीण विकास से संबंधित नवाचार के लिए फंड उपलब्ध कराने की भी पहल की है।
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