एमजीएम अस्पताल की बदहाल स्थिति का आलम यह है कि शव ढकने के लिए चादर तक नहीं दिए जा रहे हैं। रविवार को दो शवों को एक ही चादर से ढंक कर रखा गया था। तब तक शवों की शिनाख्त नहीं हो पाई थी। डाॅक्टर-कर्मचारियों के इस अमानवीय व्यवहार पर कार्रवाई करने की बजाय अस्पताल प्रबंधन उस पर पर्दा डाल रहा है। वहीं ठंड में मरीज कंबल के मोहताज हैं। मरीज अपने घरों से कंबल लेकर आ रहे हैं, ताकि किसी तरह सर्द रातें बिताई जा सके।
दूसरी ओर अस्पताल में मरीजों को डॉक्टर की लिखी पूरी दवाई भी नहीं मिल रही है। सेकेंड हाफ में डॉक्टर नहीं मिलने से मरीजों को परेशान होना पड़ रहा है।
अलग-अलग स्ट्रेचर पर शवों को रख एक ही कपड़े से ढक दिया
अस्पताल में इलाजरत गम्हरिया व चकुलिया के एक-एक मरीज की रविवार को मौत हो गई। उस समय दोनों ही के परिजन मौजूद नहीं थे। अस्पताल कर्मचारियों ने दोनों शव को साथ रखा और एक ही चादर से ढंक दिया। खबर लिखे जाने तक शवों की शिनाख्त नहीं हो सकती थी।
छह दिन पहले हुआ था ऑपरेशन आज तक नहीं दिया गया कंबल
बारीडीह बस्ती निवासी अमृत कुमार को अस्पताल में एडमिट होने के पांच दिन बाद भी कंबल नहीं दिया गया। मरीज की पत्नी सुनैना ने बताया कि 9 जनवरी को उनके पति का अपेंडिक्स का आॅपरेशन हुआ था। आज तक उन्हें कंबल नहीं दिया गया। वह घर से कंबल
डॉक्टर नहीं मिलने से परेशान मरीज कर्मचारी से उलझ पड़ी
लक्ष्मीनगर निवासी पीहू देवी डाॅ. बलराम झा से दिखाने के लिए अस्पताल पहुंची थीं। डाॅक्टर के नहीं रहने से इधर-उधर भटकती रहीं। ओपीडी में मौजूद एक कर्मचारी ने कुछ भी नहीं बताया। फिर वह दवा वितरण केंद्र पर अपनी व्यथा सुनाते हुए कर्मचारी से उलझ गई।
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