सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को जमशेदपुर नगर निगम के मामले में सुनवाई होगी। शहर के मानवाधिकार कार्यकर्ता जवाहरलाल शर्मा की याचिका पर 24 जुलाई को इसकी सुनवाई हुई थी, लेकिन अधूरी रह गई थी। उस समय टाटा स्टील और झारखंड सरकार ने शपथ पत्र (एफिडेविट) दाखिल करने के लिए समय मांगा था, जिस पर कोर्ट ने 25 अगस्त का समय दिया था।
यह मामला 35 वर्ष से सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। जमशेदपुर वासियों को तीसरे मत का अधिकार दिलाने के लिए शर्मा ने सुप्रीम कोर्ट में 1989 में जनहित याचिका दायर की थी। शर्मा बताते हैं कि इसके एक वर्ष बाद ही कोर्ट ने नगर निगम गठन करने का आदेश दिया था, लेकिन यह लागू नहीं हो सका।
इस मामले में एक बार फिर शर्मा कोर्ट गए, तो पांच वर्ष पहले 2019 में भी सुनवाई हुई। उस समय भी झारखंड सरकार व टाटा स्टील ने कोर्ट को इस संबंध में कार्रवाई का आश्वासन देते हुए समय मांगा था।
शर्मा ने बताया कि शुरू में भी मेरी ओर से राम जेठमलानी, फिर उनकी पुत्री रानी जेठमलानी ने बहस की थी, जबकि इस बार प्रशांत भूषण बहस कर रहे हैं। प्रशांत भूषण भी निशुल्क केस लड़ने के लिए तैयार हुए हैं।
इससे पहले शर्मा की याचिका पर पटना हाईकोर्ट से नगर निगम बनाने के पक्ष में फैसला आया था, जिसे टाटा स्टील ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी।
स्थानीय निकाय के प्रतिनिधि नहीं चुन सकते लोग
जमशेदपुर एक आधुनिक शहर है। यहां टाटा ग्रुप की कई कंपनियां हैं। ऐसे में यहां देश के तमाम राज्यों से आकर लोग बसे हुए हैं इसलिए इसे मिनी इंडिया कहा जाता है। बावजूद इसके यहां के लोगों को तीसरे मत का अधिकार नहीं है। यानि कि यहां के निवासी लोकसभा और विधानसभा चुनाव के लिए तो मतदान कर सकते हैं, लेकिन स्थानीय निकाय के लिए प्रतिनिधि नहीं चुन सकते हैं।
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