शहरी इलाके में सर्दी को देखते हुए तीनों निकाय क्षेत्रों में सात आश्रयगृह तैयार हैं, जिसमें कंबल और ब्लोअर तक की व्यवस्था की गई है, लेकिन किसी भी आश्रयगृह के बेड खाली हैं। फुटपाथ और बेघर लोगों को निकाय कर्मचारी पकड़कर आश्रयगृह में ले जाते हैं, पर वे मौका पाते ही सड़क किनारे जाकर सो जाते हैं।
सड़क किनारे सोने वाले लोग बताते हैं कि उनका आश्रयगृह में मन नहीं लगता है। उन्हें सड़क किनारे खाने-पीने को भी मिल जाता है, लोगों से बातचीत करते समय गुजर जाता है। बंद चहारदीवारी में दम घुटने लगता है। यह कहकर आश्रयगृह से भाग जाते हैं। वहीं, शहर में चौक-चौराहों पर लगभग 30 जगहों पर अलाव की हर शाम व्यवस्था है।
जमशेदपुर अधिसूचित क्षेत्र समिति के तहत चार आश्रयगृह हैं, जहां आधे लोग ही रहते हैं। जमशेदपुर के बस स्टैंड के पास 50 लोगों के रहने और भोजन की व्यवस्था है। रात में सोने के लिए कबंल मिलते हैं और ब्लोअर भी, पर यहां हर रात 35 लोग ही पहुंच पाते हैं। इसी तरह साकची के किशोरीनगर के आश्रयगृह में 16 की जगह 13 लोग ही रहते हैं। बर्मामाइंस आश्रयगृह में 16 की जगह 15 लोग रहते हैं। केवल बारीडीह के आश्रयगृह में 16 की जगह 20 लोग रहते हैं, जहां अतिरिक्त कंबल की व्यवस्था कर लोगों के रहने की व्यवस्था की जाती है। सिटी मैनेजर सलिल तिर्की के अनुसार, कुल 14 जगहों पर अलाव जलाने की व्यवस्था की गई, जहां देर रात तक अलाव जलते हैं और जरूरतमंद ठंड से बचाव के लिए अलाव के पास बैठे रहते हैं।
आश्रयगृह में कुल 50 लोगों की रहने की व्यवस्था
मानगो नगर निगम इलाके में दो आश्रयगृह हैं। कुमरूम टोला में बिग बाजार के पीछे बने आश्रयगृह में कुल 50 लोगों की रहने की व्यवस्था हैं, पर 30 से 35 लोग ही नियमित रूप से रहते हैं। दूसरा आश्रयगृह दाईगुट्टू सामुदायिक भवन में हैं, जहां 15 लोगों के रहने की व्यवस्था है, लेकिन सात से आठ ही महिलाएं रहती हैं, जबकि कंबल से लेकर खाने-पीने तक की व्यवस्था है। सिटी मैनेजर निर्मल कुमार का कहना है कि हर रात लोगों को फुटपाथ से पकड़कर आश्रयगृह ले जाया जाता है, पर वहां रहने को तैयार नहीं होते हैं। दूसरे दिन ही भाग निकलते हैं। पूरे इलाके में कुल 9 जगहों पर अलाव जलाने की व्यवस्था की गई है।
जुगसलाई नगर परिषद की ओर से बिरसा सामुदायिक भवन में 16 लोगों को रहने के लिए आश्रयगृह बनाया गया है, लेकिन कभी पर्याप्त लोग नहीं रह पाते हैं। सिटी मैनेजर सोनी कुमारी बताती है कि आश्रयगृह में पर्याप्त जगह है। लोगों को पकड़कर ले जाया जाता है। कुछ लोग अपने से भी जाते हैं। कुल सात जगहों पर अलाव जलाने की व्यवस्था की गई है। हर शाम परिषद कर्मी निर्धारित चौकों पर अलाव जलाते हैं।
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