मानसून की बारिश शुरू हो गई है। जमशेदपुर में हालांकि भारी बारिश नहीं हुई है, पर हल्की बारिश में ही कई जगहों पर लोगों को जलजमाव की समस्या का सामना कर रहा है। जलजमाव के कारण मलेरिया सहित अन्य तरह की बीमारियों के फैलने का डर भी सताने लगा है।
बर्मामाइंस के लाल बाबा फाउंड्री इलाके में हल्की बारिश में भी जलजमाव
बर्मामाइंस के लाल बाबा फाउंड्री इलाके में हल्की बारिश से सड़कों पर जलजमाव की स्थिति पैदा हो जाती है। जमे पानी में मच्छर पनपते हैं, जिससे बीमारियों के फैलने की आशंका होती है। लाल बाबा फाउंड्री के ब्लूस्कोप गली में पिछले एक सप्ताह से जलजमाव है। इस इलाके में सप्ताह भर पहले हल्की बारिश हुई थी, जिससे पूरे इलाके में पानी भर गया। स्वास्थ्य विभाग की ओर से अबतक इलाके में फॉगिंग या कीटनाशक का छिड़काव नहीं करवाया गया है, जबकि शहर में डेंगू, जापानी बुखार, चिकनगुनिया के लगातार मरीज मिल रहे हैं। स्थानीय निवासी बच्चा यादव और मो. शमशेर ने बताया कि टाटा कमांड एरिया में होने के बाद भी इलाके में जमजमाव की समस्या से लोगों को निजात नहीं मिला। हर साल मानसून और बरसात में इलाके में जलजमाव की समस्या आम है।
भुइयांडीह में सालभर मच्छर के आतंक में रहने को मजबूर लोग
भुइयांडीह इलाके के लिए मच्छरों का प्रकोप मौसमी नहीं है। यहां साल भर मच्छर से लोग परेशान रहते हैं। भुइयांडीह बस्ती में बरसाती जल निकासी का प्रबंध नहीं है। वहीं, सालभर बहने वाला गंदा नाला लोगों के लिए अभिशाप बना हुआ है। नाले के कारण सालभर मच्छर पनपते हैं और लोगों को बीमार करते हैं। हाल ही में यहां डीडीटी का छिड़काव तो किया गया है, लेकिन यह मच्छरों के खात्मे के लिए नकाफी है। बजबजाते नाले का कोई समाधान नहीं है, इसलिए लोगों ने मच्छरों के साथ जीना अपनी मजबूरी मान ली है। भुइयांडीह में मच्छर बड़ी समस्या है। सालभर हमें इससे परेशानी होती है। स्थानीय जनप्रतिनिधियों से शिकायत पर अस्थायी समाधान कर दिया जाता है, लेकिन फिर कुछ दिनों में हालात जस के तस हो जाते हैं।
बागबेड़ा की बस्तियों में नहीं होती है फॉगिंग
बागबेड़ा इलाके में बारिश के दिनों में सड़क तो छोड़िए नाला के पुल पर भी जलजमाव होता है। इससे नया बस्ती व बड़ौदा घाट इलाके में मच्छर बढ़ने से लोगों को बीमारियों का डर सताता है। बागबेड़ा इलाके की बस्तियों में सरकारी स्तर पर नियमित छिड़काव और फॉगिग की व्यवस्था नहीं है। क्षेत्र के जनप्रतिनिधि अपने स्तर से कभी कभार ब्लीचिंग का छिड़काव कराते हैं। बाबाकुटी शीतला मंदिर रोड निवासी नागेश्वर प्रसाद के अनुसार, जब बस्ती बारिश में नाला के पानी में डूब जाती है तो ब्लीचिंग का छिड़काव प्रखंड स्तर पर होता है। ऐसे कोई बस्तियों की दुर्दशा पर ध्यान नहीं देता। भला हो कि अभी ज्यादा बारिश नहीं हुई अन्यथा बस्ती में जलजमाव के कारण पैदल चलना दूभर हो जाता है।
बिरसानगर में भी बढ़ रहा मच्छरों का प्रकोप
वर्षा शुरू होते ही बिरसानगर क्षेत्र के निचले स्थानों में कई जगहों पर जलजमाव हो जाता है। वर्षा होने के कारण मच्छरों का प्रकोप बढ़ता ही जा रहा है। मच्छरों के बढ़ते प्रकोप से क्षेत्रीय लोग परेशान हैं। बारिश के जल से सड़कों पर जलजमाव हो जाने, नाली एवं गड्ढे में गंदे पानी भर जाने जाने के कारण मच्छरों का प्रकोप बढ़ता जा रहा है। बिरसानगर चार नंबर जोन में लोग मच्छर के प्रकोप से परेशान है। कई स्थानों पर कचरे का ढेर सालों भर लगा रहता है
कचरे का ढेर यहां सालों भर लगा रहता है। यहां गैर कंपनी इलाका होने के कारण बिजली रात भर गायब रहती है। जिस कारण ज्यादातर रात के समय मच्छर से लोगों का सोना मुश्किल हो जाता है।
मामूली बारिश में मानगो में भी हो जाता है जलभराव
मानगो में मामूली बारिश होने पर भी कई दिनों तक जलभराव की समस्या से लोगों का सामना करना पड़ता है। जवाहरनगर, आजादनगर, नित्यानंद कॉलोनी, शंकोसाई, कुमरूमटोला में हल्की बारिश से भी जलभराव की स्थिति पैदा हो जाती है। इन इलाकों में पानी निकासी की कोई व्यवस्था नहीं है। जिसके चलते मच्छरों का लार्वा बनने लगता है। इन इलाकों में जल जनित बीमारी फैलने की हमेशा आशंका बनी रहती है।
कोट:::::::::::::::
जलभराव वाले इलाके में ब्लीचिंग का छिड़काव किया जाता है। एंटी लार्वा पनपने न पाए, इसके लिए रसायन का छिड़काव किया जाता है। इस बारे में स्वास्थ्य विभाग को भी सूचना दी जाती हैं, ताकि वह अपने स्तर पर मलेरिया उन्मूलन अभियान चला सके। सुरेश यादव, कार्यपालक पदाधिकारी, मानगो नगर निगम
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