नोएडा में एक बच्चे को पालतू कुत्ते के काटने के बाद से देशभर में सवाल उठने लगा है कि कुत्तों के पालने के लिए कोई नियम सभी शहरों में हैं या नहीं। जमशेदपुर में भी कुत्तों का आतंक है, पर शहर की तीनों निकायों में से एक भी निकाय के पास पालतू कुत्तों के निबंधन का कोई प्रावधान नहीं है। इससे लोग निबंधित नहीं करवा पाते हैं। शहर में कई बार कुत्तों के हमले से बच्चों की जान तक चली गई है, पर प्रशासन मौन रह गया।
पालतू कुत्तों का आंकड़ा तक निकायों के पास नहीं
शहर के अपार्टमेंट और कॉलोनियों में 6 हजार से अधिक पालतू कुत्ते हैं, लेकिन एक का भी निबंधन नहीं है। पालतू कुत्तों का आंकड़ा तक निकायों के पास नहीं है। रॉडबिलर, डाबरमैन, जर्मन शेफर्ड, बॉक्सर सहित अन्य कुत्ते लोगों के घरों में हैं। ऐसे लोग कुत्तों को सुबह और शाम में लेकर टहलने निकलते हैं, पर वे नियमों का पालन नहीं करते हैं। कई बार हाथ से चेन छूटने पर दूसरे लोगों को ये काट लेते हैं। जेएनएसी के विशेष पदाधिकारी संजय कुमार का कहना है कि फिलहाल कुत्तों के निबंधन का प्रावधान नहीं है। कुत्तों को पकड़कर एक निश्चित जगहों पर छोड़ने की भी योजना बनाई जा रही है। मानगो नगर निगम के कार्यपालक पदाधिकारी सुरेश प्रसाद का कहना है कि जल्द एक एजेंसी का टेंडर प्रक्रिया के तहत चयन किया जाएगा।
क्यों हिंसक होते हैं कुत्ते?
जमशेदपुर पेट क्लिनिक के प्रभारी डॉक्टर राजेश कुमार सिंह के अनुसार, यहां कुत्तों के हिंसक होने का मुख्य कारण गर्म वातावरण है, क्योंकि ज्यादातर विदेशी नस्ल के कुत्ते ठंडे देश से हैं। यहां के बदलते मौसम में उनका स्वभाव बदलता है, जिससे वो कई बार हिंसक हो जाते हैं। चिकित्सक के मुताबिक, खानपान में अंतर भी विदेशी नस्ल के कुत्तों के हिंसक होने का मुख्य कारण है, क्योंकि यहां लोग रोज चिकन या अन्य महंगी खाद्य सामग्री कुत्तों को नहीं परोसते हैं। इससे कुत्तों की प्रवृति खतरनाक होती है।
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