दो हजार रुपये के गुलाबी नोट के बाद अब एक रुपये के सिक्के को लेकर खुदरा कारोबारियों को परेशानी होने लगी है। कभी खूब खनकने वाले सिक्के अब खोटे साबित हो रहे हैं। बैंकों की मनमानी के आगे व्यापारी, कारोबारी परेशान हैं। दूसरी ओर, कारोबारियों के आगे ग्राहक लाचार हैं। इससे रोज झगड़े की नौबत आ जा रही है।
बैंकों ने साफ कर दिया कि प्रति व्यक्ति केवल एक हजार रुपये तक के ही सिक्के रोज जमा किए जा सकते हैं। उसमें भी दस और पांच रुपये के सिक्के जरूरी हैं। एक और दो रुपये का सिक्का बैंक लेने के लिए तैयार नहीं हैं। पूर्वी सिंहभूम के 31 बैंकों की 133 शाखाओं में छह करोड़ रुपये से अधिक के सिक्के रखे हैं, जिसे रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने जमा लेने से मौखिक तौर पर मना कर दिया है। बैंकों की लगातार मिल रही शिकायतों को संज्ञान में लेकर भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने निर्देश जारी किए हैं। इसमें बैंकों को सिक्का लेना अनिवार्य किया गया है, पर बैंक आरबीआई को जमा नहीं दे पा रहे हैं।
एक रुपये के छोटे सिक्के नहीं ले रहे दुकानदार
इधर, एक रुपये के छोटे सिक्के बाजार में लेने से सीधे दुकानदार इनकार कर दे रहे हैं। इससे लोगों के घरों में भी छोटे सिक्के जमा होने लगे हैं। इसे लोग भिखारी या मंदिर में दान करने में उपयोग करने लगे हैं। एक दुकानदार ने सिक्का लेने से मना किया तो ग्राहक ने पूछा कि भारत सरकार से जारी सिक्का आप कैसे नहीं लेंगे। इसी तरह की तकरार लोगों में हो रही है।
बोझ बनने लगे हैं सिक्के
दुकानों के गल्ले, जेबों में खनकने वाले सिक्के अब बोझ बन गए हैं। बैंक सिक्कों को लेने से हाथ खड़े कर रहे हैं। सबसे अधिक समस्याएं किराना व्यापारी और छोटे दुकानदारों के सामने खड़ी हो गई है। रोज बड़ी संख्या में सिक्के आते हैं, लेकिन बैंक नहीं ले रहे हैं। साथ ही बैंक में जमा कराने पर जवाब मिलता है, इतने सिक्के गिनेगा कौन? इससे परेशानी बढ़ गई है।
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