जुस्को श्रमिक यूनियन की आमसभा कराने के लिए निवर्तमान अध्यक्ष रघुनाथ पांडेय के डीएलसी से मिलने पर विरोधियों ने उन पर आरोपों की झड़ी लगा दी है। दूसरी ओर, पांडेय गुट ने दावा किया है कि उन्होंने हाई कोर्ट जाकर यूनियन का निबंधन रद्द होने से बचाया है।
विपक्षी खेमे का कहा है कि एक बार फिर रघुनाथ पांडे का मायावी रूप सामने आया है। कल वे कुछ कर्मचारी विरोधियों को लेकर उप श्रमायुक्त (डीएलसी) कार्यालय गए और फिर से आमसभा करवाने में सहायता मांगी। उनका सवाल है कि जब उच्च न्यायालय के केस की इनको पूरी जानकारी है और इन्होंने ने ही डीएलसी के अधिकारों को चुनौती देते हुए याचिका दायर की थी जिसके कारण स्टे लगा हुआ है।
विपक्षी नेताओं ने कहा कि 14 मार्च, 2020 की आमसभा में की गई कथित धांधली के विरुद्ध इनकी शिकायत डीएलसी से की थी। लगातार इनको उप श्रमायुक्त ने अपना पक्ष रखने का मौका दिया, परंतु उन्होंने पक्ष नहीं रखा और सुविधाओं का लाभ लेते रहे।
गोविंद झा मनीष दुबे गोपाल जायसवाल, रुपू भकत, फिरोज अली खान, उमेश राय, मनोज पांडे, अशोक राय ने प्रबंधन को दो बार काफी सारे कर्मचारियों का हस्ताक्षर करवाकर ट्रेड यूनियन रजिस्ट्रार को जल्द से जल्द आमसभा एवं चुनाव करवाने का अनुरोध किया किन्तु केस के कारण निर्णय लेने में असमर्थता जतायी।
श्रम विभाग को कार्रवाई से रोका
रघुनाथ पांडेय समर्थक सूरज सिंह, रविकांत शुक्ला, एमए रहमान आदि नेताओं ने साकची में बैठक कर विपक्षी नेताओं पर पलटवार किया है। उन्होंने कहा कि अगर विपक्षी खेमा कर्मचारियों का सही मायने में हितैषी है, तो चुनाव के लिए सामने आए। आमसभा के दो दिन बाद विपक्षी नेताओं ने ही चुनाव रद्द करने का आवेदन श्रम विभाग में दिया था। उस समय हाई कोर्ट जाकर श्रम विभाग को एक्शन लेने से रोका गया, ताकि शिकायत से यूनियन का निबंधन रद्द नहीं हो जाये।
2006 में टाटा वर्कर्स यूनियन और टेल्को वर्कर्स यूनियन का निबंधन इसी तरह की शिकायत के कारण रद्द हुआ था। अगर मामले को चुनौती नहीं दी जाती तो आज जुस्को यूनियन का निबंधन रद्द हो जाता। विपक्षी नेता चुनाव और एजीएम की मांग करते हैं। परंतु वही मांग जब वे लोग कर रहे तो कर्मचारियों को बरगलाया जा रहा है। ऐसे में विपक्षी नेताओं को किस बात का डर है। कर्मचारियों के हित में वे आगे आएं ताकि लंबित चुनाव हो सके।
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