घाटशिला के गुड़ाझोर में मोटर ड्राइविंग ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट (आईडीटीआर) निर्माण का विरोध होने के बाद जिला प्रशासन एक बार फिर ‘बैकफुट’ पर आ गया है। ग्रामीणों के विरोध को भांपते हुए जिला प्रशासन की ओर से घाटशिला के चोड़िन्दा व राजाबासा गांव में भूमि का चयन किया गया है। इससे पूर्व 2019 में मानगो अंचल के काशीडीह गांव में आईडीटीआर के लिए जमीन का चयन किया गया था। रघुवर दास के सीएम रहते पुलिस की सुरक्षा में काम शुरू कराया गया था। लेकिन हेमंत सोरेन नेतृत्व वाली सरकार के सत्ता में आने पर ग्रामीणों ने मुखर होकर विरोध शुरू किया और काम बंद करा दिया।
कई बार काशीडीह में आईडीटीआर बनाने का प्रयास किया गया
इसके बाद प्रशासन की ओर से कई बार काशीडीह में आईडीटीआर बनाने का प्रयास किया गया , पर प्रशासनिक कवायद विफल रही थी। 27 माह तक काम शुरू कराने का प्रयास विफल हो गया। यहां करीब 2 करोड़ रुपए खर्च करने के बाद प्रशासन की ओर से घाटशिला के गुड़ाझोर में आईडीटीआर बनाने के लिए भूमि चिंहित कर परिवहन विभाग को जानकारी दी गई। विभागीय स्तर पर गुड़ाझोर की भूमि को आईडीटीआर के लिए उपयुक्त माना गया था।
परिवहन विभाग ने इस भूमि को उपयुक्त मानते हुए हस्तांतरण की प्रक्रिया शुरू करने के लिए कहा था। 5 अप्रैल को दैनिक भास्कर ने इसका खुलासा किया तो 6 अप्रैल से गुड़ाझोर में भी ग्रामीणों ने आंदोलन शुरू कर दिया। अब तक ग्रामीणों व प्रशासनिक अधिकारियों के बीच 4 दौर की वार्ता हो चुकी है, पर ग्रामीण मानने के लिए तैयार नहीं हैं। दूसरी ओर चोड़िन्दा की भूमि भौगोलिक रूप से दूर है। इसलिए प्रशासन राजाबासा में आईडीटीआर बनाने की योजना पर काम कर रहा है। यह बात दीगर है कि राजाबासा के ग्रामीणों ने भी आईडीटीआर का विरोध करने का मूड बना लिया है।
अब घाटशिला प्रखंड के चोड़िन्दा व राजाबासा में किया गया जमीन का चयन
गुड़ाझोर में 18 एकड़ सरकारी जमीन है। भूमि का नेचर ‘गोचर भूमि’ है। 18 एकड़ में से 12 एकड़ में आईडीटीआर बनाया जाना था। ग्रामीणों का कहना है- यह आदिम जनजाति सबर की श्मशान भूमि है। ग्रामीण यहां गोट पूजा करते हैं। ऐसी स्थिति में आईडीटीआर का निर्माण नहीं होने देंगे। ग्रामीणों के विरोध के बाद प्रशासन ने योजना बनाई थी कि समेकित जनजाति विकास अभिकरण (आईटीडीए) से 6 एकड़ में श्मशान भूमि की चहारदीवारी व अन्य संरचना का निर्माण करा दिया जाएगा और शेष 12 एकड़ पर आईडीटीआर बनाया जाएगा। प्रशासन का यह प्रयास भी विफल हो गया। ग्रामीण किसी भी स्थिति में आईडीटीआर का निर्माण नहीं होने देने के पक्ष में अड़ गए हैं।
इसके बाद प्रशासन ने गुड़ाझोर में आईडीटीआर बनाने का फैसला स्थगित कर दिया। राजाबासा के ग्रामीण विरोध कर रहे हैं, पर प्रशासन के लिए अच्छी खबर है चोड़िन्दा के ग्रामीण चाहते हैं उनके गांव में आईडीटीआर बने। यह इलाका काफी पिछड़ा हुआ है और ग्रामीणों को उम्मीद है कि आईडीटीआर बनने से उनके इलाकों का विकास होगा, पर भौगोलिक रूप से यह इलाका एनएच-33 से दूर है और इस गांव तक पहुंचने के लिए सड़क भी नहीं है।
“गुड़ाझोर में आईडीटीआर का निर्माण कराए जाने के फैसला फिलहाल स्थगित कर दिया गया है। गुड़ाझोर के ग्रामीणों के विरोध के कारण यह फैसला लिया गया है। घाटशिला में ही दूसरे स्थानों पर भूमि की तलाश की जा रही है। घाटशिला एसडीओ व सीओ को जमीन की तलाश करने का आदेश दिया गया है।” -जयदीप तिग्गा, प्रभारी डीसी सह एडीसी
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