अंतरराज्यीय बस पड़ाव (आईएसबीटी) एनएच-33 किनारे वसुंधरा स्टेट के पास बनेगा। इसके लिए 9.88 एकड़ जमीन मिल गई है। जमीन स्वर्णरेखा परियोजना की है। इसे हस्तांरित करने की प्रक्रिया अंतिम चरण में है। धालभूम के अनुमंडल पदाधिकारी ने जमीन के संबंध में अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। यह परियोजना करीब पांच साल पुरानी है। जमीन चयन को लेकर पूर्व में काफी माथापच्ची हुई। आखिरकार स्वर्णरेखा परियोजना अपनी खाली जमीन देने को राजी हुआ। यह जगह हर लिहाज से अच्छा है, क्योंकि यह एनएच के किनारे है और शहर से दूर भी नहीं है।
मानगो बस स्टैंड पर वाहनों के अत्यधिक बोझ का दबाव घटेगा
अंतरराज्यीय बस पड़ाव बनने का फायदा यह होगा कि मानगो बस स्टैंड पर वाहनों के अत्यधिक बोझ का दबाव घटेगा। वर्तमान में मानगो बस पड़ाव से करीब 500 बसें खुलती हैं। इनमें से लगभग 150 अंतरराज्यीय बसें हैं। मानगो से बिहार, पश्चिम बंगाल, ओडिसा, छत्तीसगढ़, आंध्र प्रदेश और उत्तर प्रदेश के लिए बसें खुलती हैं। सबसे अधिक बसें बिहार की हैं। इन बसों के आईएसबीटी के खुलने की स्थिति में जहां मानगो बस स्टैंड में जगह बनेगी वहीं बाहर सड़क पर बस लगाना बंद होगा। जिससे जाम की समस्या नहीं होगी। शहर के भीतर बसें चलने से डीजल के धुएं से जो प्रदूषण होता है, वह भी कम होगा। मानगो पुल से होकर जो बसें चलती हैं, उनका परिचालन बंद होगा और जाम की समस्या दूर होगी।
आम लोगों पर बढ़ेगा बोझ
एनएच पर बस स्टैंड बनने से लोगों को वहां तक पहुंचने का अतिरिक्त खर्च वहन करना पड़ेगा। हालांकि, सभी बड़े शहरों में अंतरराज्यीय बस पड़ाव मुख्य शहर से बाहर ही बनाने का चलन है। इसका एक प्रमुख कारण शहर के भीतर इतनी बड़ी जमीन की उपलब्धता होती है। जहां तक नये बस पड़ाव की बात है, इसके निर्माण से शहर के ऑटो वालों की कमाई बढ़ेगी। इसके अलावा वहां एक छोटा सा बाजार भी बनेगा जिससे सैकड़ों लोगों को रोजगार मिलेगा।
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