कुछ दिन पहले ओटीटी प्लेटफॉर्म पर रिलीज़ हुई सच्ची घटना पर आधारित फिल्म जय भीम ऐसी ही कुछ घटना को दर्शाती है। रिलीज़ के बाद से ये फिल्म हर जगह धूम मचा रही है।
पिछले साल अमेरिका में जॉर्ज फ्लॉयड की मौत के बाद आम लोग भी “पुलिस बर्बरता” के बारे में जानने समझने लगे हैं।अत्यधिक बल प्रयोग से काले शख़्स जार्ज फ्लॉयड की मौत हो गई थी।
जिस तरह इस फिल्म में पुलिस हिरासत के दौरान अभियुक्त की मौत को दर्शाया गया है, क्या इस तरह अभियुक्त की मौत पुलिस हिरासत हो सकती है?
यह एक बहुत बड़ा सवाल है जो देश की कानून व्यवस्था और कार्यप्रणाली पर उठता है।
हिरासत में मौत होने का मतलब क्या है?
सरल शब्दों में कहें तो पुलिस हिरासत में किसी अभियुक्त की मौत को ‘हिरासत में मौत’ का मामला माना जाता है।चाहे वह अभियुक्त रिमांड पर हो या नहीं हो, उसे हिरासत में लिया गया हो या केवल पूछताछ के लिए बुलाया गया हो।
हिरासत के दौरान अभियुक्त की मौत हो तो उसे ‘हिरासत में मौत’ माना जाता है.
इसमें पुलिस हिरासत के दौरान आत्महत्या, बीमारी के कारण हुई मौत, हिरासत में लिए जाने के दौरान घायल होने एवं इलाज के दौरान मौत या अपराध कबूल करवाने के लिए पूछताछ के दौरान पिटाई से हुई मौत शामिल है।
यहां हम आपको कस्टोडियल डेथ के उन मामलों के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसमें कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद पुलिस वालों पर कार्रवाई हुई और पीड़ितों को न्याय मिला।
1. केरल के दो पुलिसकर्मियों को मौत की सजा
केरल के तिरुवनंतपुरम में साल 2018 में विशेष सीबीआई अदालत ने साल 2005 में 26 साल के युवक की कस्टडी में मौत के मामले में दो पुलिसकर्मियों को मौत की सजा सुनाई है. इसमें एक सहायक सब इंस्पेक्टर जीतकुमार हैं तो दूसरे सिविल पुलिस अधिकारी एस वी श्री कुमार। तीन अन्य आरोपियों टीके हरिदास, ईके साबू और अजीत कुमार को सबूत नष्ट करने के आरोप में 3 साल की जेल की सजा सुनाई गई है।
2. यूपी के 5 पुलिसकर्मियों को सजा
यूपी के बुलंदशहर के खुर्जा इलाके में पुलिस हिरासत में युवक की मौत के मामले में कड़कड़डूमा कोर्ट ने यूपी पुलिस के 5 पुलिसकर्मियों को दोषी करार दिया। पाचों पुलिसकर्मियों को 10 साल की सजा और 25-25 हजार जुर्माना की सुनाई गई थी।
3.यूपी के जौनपुर में कस्टडी में मौत, 6 पुलिसकर्मियों को उम्र कैद की सजा
यूपी के जौनपुर के सुजानगंज थाना क्षेत्र में 14 सितंबर 2002 के एक केस में 6 पुलिसकर्मियों को उम्र कैद की सजा सुनाई है।
4. महाराष्ट्र के नागपुर केस में 10 पुलिसवालों को 7 साल की सजा
महाराष्ट्र के नागपुर में पुलिस कस्टडी में हुई मौत के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने 4 सितंबर 2018 को 10 पुलिसवालों को 7 साल की सजा सुनाई थी. सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी की थी कि अगर किसी को शक्ति मिल जाता है तो उसकी जिम्मेदारी अधिका बढ़ जाती है। इस मामले में पहले निचली अदालत ने सभी 10 पुलिस वालों को 3 साल की सजा सुनाई थी।पर हाईकोर्ट ने सजा को बढ़ा दिया था।
5. झारखंड में 20 साल पुराने मामले में चार पुलिसकर्मियों को सजा
फरवरी 2018 में सीबीआई की विशेष अदालत ने 20 साल पहले पुलिस कस्टडी में हुई मौत के ममले में चार पुलिसकर्मियों पर 5-5 साल की सजा सुनाई थी. इसके साथ ही 1-1 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया था.
आरोपियों में डीएसपी, इंस्पेक्टर, थाना प्रभारी और एसआई शामिल थे।पारस नाथ सिंह की मौत जुलाई 1998 में पुलिस कस्टडी में हुई थी।
Article by- Nishat Khatoon
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