कर्नाटक हाई कोर्ट ने जब तक यह मामला सुलझ नहीं जाता तब तक के लिए छात्रों को कोई ऐसा कपड़ा नहीं पहनने का आदेश दिया है जो लोगों को उकसा सकता है, चाहे वह हिजाब या केसरिया कपड़ा ही क्यों न हो.कर्नाटक हाईकोर्ट के चीफ़ जस्टिस रितु राज अवस्थी ने एक मुसलमान महिला जज को इस तीन सदस्यीय बेंच का सदस्य बनाया है.
छात्राओं के हिजाब पहनने पर प्रतिबंध के ख़िलाफ़ दायर याचिका पर कर्नाटक हाईकोर्ट के तीन जजों की बेंच ने सुनवाई शुरू कर दी है. गुरुवार को शुरुआती दलीलें सुनने के बाद बेंच ने कहा कि अब अगले सोमवार को आगे की सुनवाई होगी.जस्टिस जैबुनिसा मोहिउद्दीन खाजी इस बेंच की सदस्य हैं जिन्हें पिछले साल एक ज़िला जज के पद से पदोन्नति देकर हाईकोर्ट का जज बनाया गया था.इस बेंच की अध्यक्षता मुख्य न्यायाधीश ख़ुद कर रहे हैं. पीठ के दूसरे सदस्य न्यायमूर्ति कृष्णा दीक्षित हैं जिन्होंने तीन दिनों तक हिजाब मामले पर सुनवाई करने के बाद इसे बड़ी पीठ के पास भेजने का फैसला लिया क्योंकि इस मामले में संवैधानिक सवाल और व्यक्तिगत क़ानून दोनों शामिल हैं.बिगड़ते हालात को देखते हुए मंगलवार को राज्य सरकार ने तीन दिनों तक सभी हाईस्कूल और कॉलेज बंद करने का आदेश दिया.
मुख्यमंत्री बासवराज एस बोमई और राज्य के गृह मंत्री ने छात्रों के साथ ही सभी लोगों ने शांति बनाए रखने की अपील की है.
कर्नाटक के शिक्षा मंत्री नागेश बीसी ने कॉलेज प्रशासन का समर्थन करते हुए कहा है कि परिसर में भगवा गमछे और हिजाब दोनों ही पर रोक लगनी चाहिए. उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि छात्रों को कुछ लोग गुमराह कर रहे हैं और प्रदर्शन के लिए उकसा रहे हैं. मुख्यमंत्री बासवराज एस बोमई और राज्य के गृह मंत्री ने छात्रों के साथ ही सभी लोगों ने शांति बनाए रखने की अपील की है.
अदालत उन छात्राओं की याचिका पर सुनवाई कर रही है जिन्होंने हिजाब पर रोक को चुनौती दी है.
मंगलवार को मामले की सुनवाई के दौरान जस्टिस कृष्णा दीक्षित ने कैंपस के बाहर और भीतर हिंसा पर चिंता जताई और शांति बनाए रखने की अपील की. अदालत उन छात्राओं की याचिका पर सुनवाई कर रही है जिन्होंने हिजाब पर रोक को चुनौती दी है.अदालत ने कहा, ” सारी भावनाएं बाहर रखें. हम इस मामले में संविधान के आधार पर फैसला करेंगे. संविधान हमारे लिए भगवद् गीता है. हिजाब पर रोक को चुनौती देने वाली छात्राओं की ओर से दलील देते हुए उनके वकील देवदत्त कामथ ने कहा कि सरकार के आदेश में कुछ अदालती फैसलों को हवाला देकर छात्राओं को हिजाब पहनने से रोक दिया गया.
लेकिन पवित्र कुरान में इसे ज़रूरी रवायत बताया गया है. हम क्या पहनें इसका अधिकार हमें अनुच्छेद 19 (1) देता है. लेकिन इस अधिकार पर सिर्फ अनुच्छेद ( 6) के जरिये ही रोक लग सकती है. सरकार ने जिन अदालती फैसलों का हवाला दिया है, वे इस मामले में लागू नहीं हो सकते.
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