घाटशिला अनुमंडल अस्पताल में आयोजित कार्यक्रम में शामिल लोगों को नाश्ता कराने के लिए सांसद विद्यूत वरण महतो की ओर से दी गई लाइफ सपोर्ट सिस्टम से लैस एंबुलेंस से मिठाईयां उतारी जा रही थी l तो दूसरी तरफ लाइफ सपोर्ट सिस्टम नहीं मिल पाने की वजह से 62 वर्षीय पूर्णिमा सिंह की मौत हो गयी। आंखों में आंसू लिए परिजनों का कहना है कि काश यह एंबुलेंस समय पर मिल जाता तो मरीज की मौत नहीं होती।
जानिए पूरा मामला
काशीदा पुराना दुर्गा मंडप की रहने वाली 62 वर्षीय पूर्णिमा सिंह की तबीयत बिगड़ने पर परिजन रविवार को गंभीर स्थिति में उपचार के लिए अनुमंडल अस्पताल लाए थे। ड्यूटी पर तैनात डॉ देवंती देवगम ने प्राथमिक उपचार किया। मरीज की गंभीर स्थिति को देखते हुए उसे बेहतर उपचार के लिए जशेदपुर रेफर कर दिया। इस क्रम में डॉ देवगम के निर्देश पर उसे लाइफ सपोर्ट ऑक्सीजन लगाया गया था। इससे मरीज का ऑक्सिजन लेबल 90 से ऊपर था।
परिजन जमशेदपुर ले जाने की परेशानी को ध्यान में रखते हुए उपचार के लिए स्थानीय नर्सिंग होम ले जाना चाहते थे। इसके लिए अस्पताल से ऑक्सीजन युक्त एम्बुलेंस की मांग उन्होंने की। इस पर अस्पताल कर्मियों द्वारा बताया गया कि निजी नर्सिंग होम ले जाने के लिए अस्पताल से एम्बुलेंस देने की व्यवस्था नहीं है। जिसके बाद परिजन मरीज को टेंपो से ले जाने लगे। टेंपो पर ले जाने की पहल के दौरान मरीज की मौत हो गयी।
क्या कहते हैं परिजन
इधर मृतका पूर्णिमा सिंह की पुत्रवधू बंदना सिंह ने कहा कि जैसे ही हमलोग मरीज को निजी अस्पताल ले जाने के लिए टेंपो पर लिटाए उसी समय अस्पताल कर्मी द्वारा लाइफ सपोर्ट ऑक्सीजन खोला गया। जिससे उनकी सास की सांसे उखड़ने लगी। और देखते ही देखते टेंपों में उनकी मौत हो गई। बंदना ने बताया कि अगर ओक्सिजन सपोर्ट लगा रहता और निजी अस्पताल तक उन्हें ले जाते तो उनकी सास की जान बच सकती थी।
इधर एंबुलेंस से उतारा जा रहे थे नाश्ता का पैकेट
घाटशिला अनुमंडल अस्पताल परिसर में जब मरीज और परिजन ऑक्सीजन और लाइफ सपोर्ट के लिए जद्दोजहद कर रहे थे ठीक उसी वक्त लाइफ सपोर्ट सिस्टम से युक्त एंबुलेंस से नाश्ते का पैकेट उतारा जा रहा था। अस्पताल परिसर में आयोजित कार्यक्रम में शामिल लोगों के बीच नाश्ता बांटने के लिए नाश्ते का पैकेट लाने के लिए एंबुलेंस का इस्तेमाल किया जा रहा था। यह एंबुलेंस सांसद विद्यूत वरण महतो की ओर से दी गई थी।
क्या कहते हैं चिकित्सा प्रभारी
अनुमंडल अस्पताल के चिकित्सा प्रभारी डॉ शंकर तुडक का कहना है कि पूर्णिमा को अस्पताल में उपचार के क्रम ऑक्सीजन लाइफ सपोर्ट लगे रहने की स्थिति में उनका ऑक्सीजन लेबल 90 से ज्यादा था। उन्हें परिजन उपचार के लिए एमजीएम ले जाते तो एंबुलेंस के साथ उन्हें भेजा जा सकता था। लेकिन उसे निजी अस्पताल ले जाना चाहते थे। परिजनों ने इसके लिए मरीज को ऑक्सीजन सपोर्ट लगाए रखने की मांग नहीं की। जिसके बाद अस्पतालकर्मी द्वारा उसे खोल दिया गया होगा।
Join Mashal News – JSR WhatsApp Group.
Join Mashal News – SRK WhatsApp Group.
सच्चाई और जवाबदेही की लड़ाई में हमारा साथ दें। आज ही स्वतंत्र पत्रकारिता का समर्थन करें! PhonePe नंबर: 8969671997 या आप हमारे A/C No. : 201011457454, IFSC: INDB0001424 और बैंक का नाम Indusind Bank को डायरेक्ट बैंक ट्रांसफर कर सकते हैं।
धन्यवाद!