मोदी सरकार कथित तौर पर चल रहे ‘अमृत काल’ के दौरान देश के लोगों को ‘गुलामी की मानसिकता’ और ऐसी मानसिकता से जुड़े किसी भी तत्व से मुक्त करने पर जोर दे रही है. सूत्रों के मुताबिक मोदी सरकार अब संविधान से ‘इंडिया’ शब्द को हटाने की योजना बना रही है. सूत्रों का दावा है कि मोदी सरकार ने जो संसद का विशेष संसद सत्र बुलाया है, उसी में संविधान से ‘इंडिया’ शब्द हटाने के प्रस्ताव से संबंधित विधेयक पेश किया जा सकता है. संसद के विशेष सत्र के दौरान चंद्रयान-3 मिशन और आदित्य एल-1 सौर मिशन के की सफलताओं पर भी चर्चा होने की संभावना है.
इसके अलावा जी20 शिखर सम्मेलन के साथ-साथ मुख्य शिखर सम्मेलन पर आयोजित होने वाले प्रतिष्ठित कार्यक्रमों के बारे में भी विचार-विमर्श किया जा सकता है. बता दें कि संसद के आगामी विशेष सत्र के एजेंडे की अभी आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है. हालांकि, सूत्रों का दावा है कि 2047 तक भारत को ‘विकसित देश’ बनाने का रोडमैप तैयार किया जाएगा और इसी विषय पर चर्चा भी होगी. 17वीं लोकसभा के 13वें और राज्यसभा के 261वें सत्र के दौरान 18-22 सितंबर तक पांच बैठकें होनी हैं.
‘इंडिया’ शब्द हटाने पर गंभीरता से विचार कर रही
सूत्रों की मानें तो सरकार भारतीय संविधान के अनुच्छेद-1 में भारत की परिभाषा में इस्तेमाल किए गए ‘इंडिया यानी भारत’ शब्द से ‘इंडिया’ शब्द हटाने पर गंभीरता से विचार कर रही है. हाल ही में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने भी लोगों से इंडिया की जगह भारत शब्द का इस्तेमाल करने की अपील करते हुए कहा था कि हमारे देश का नाम सदियों से भारत ही रहा है. बता दें कि प्रधानमंत्री मोदी ने भी अमृत काल के 5 व्रतों पर जोर देते हुए कहा था कि इनमें से एक गुलामी की मानसिकता से मुक्ति भी शामिल है.
इस दिशा में सरकार ने कई कदम उठाए हैं, जिनमें शिक्षा नीति में बदलाव से लेकर प्रतीकों को हटाना, गुलामी से संबंधित सड़कों और स्थानों के नाम बदलना, औपनिवेशिक सत्ता से जुड़े लोगों की मूर्तियां हटाना और प्रमुख (ऐतिहासिक) भारतीयों की मूर्तियां स्थापित करना शामिल है. हाल ही में मोदी सरकार ने अंग्रेजों द्वारा बनाई गई आईपीसी, सीआरपीसीइन (1898) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (1872) में बदलाव किया था. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इन्हें गुलामी की निशानी बताया था.
केंद्रीय गृह मंत्री ने 3 नए विधेयक- भारतीय न्याय संहिता, 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023, और भारतीय साक्ष्य विधेयक, 2023 मौजूदा विधेयकों के स्थान पर पेश किए थे. इसके अलावा संसद के मानसून सत्र के दौरान ही भाजपा के राज्यसभा सांसद नरेश बंसल ने भारत को औपनिवेशिक गुलामी का प्रतीक बताते हुए इंडिया शब्द को हटाकर सिर्फ भारत शब्द का इस्तेमाल करने की मांग की थी. इसके अलावा, 25 जुलाई को भाजपा संसदीय दल की बैठक में मोदी ने विपक्षी दलों द्वारा अपने गठबंधन को इंडिया नाम देने पर कटाक्ष करते हुए कहा था कि ईस्ट इंडिया कंपनी और इंडियन नेशनल कांग्रेस का गठन अंग्रेजों ने किया था.
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