आजकल की तेजी से बढ़ती तकनीकी दुनिया में, मोबाइल फोन बच्चों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन गया है। बच्चे अपने मोबाइल डिवाइस के साथ हर समय जुड़े रहते हैं, जिसका परिणाम है कि वे नानी-दादी की कहानियों से दूर हो गए हैं। यह निरंतरता तकनीकी आधारित दुनिया के लिए उनके बचपन के सुंदर पलों को छूने का एक बड़ा सवाल बन गया है।
नानी-दादी की कहानियां बचपन का महत्वपूर्ण हिस्सा थीं। वे हमें सिखाती थीं, मनोरंजन कराती थीं, और हमें मोरल अद्यतन देती थीं। वे कहानियां हमारी नैतिक शिक्षा का महत्वपूर्ण स्रोत थीं और हमारे मानसिक विकास को सुझाव देती थीं।
बच्चे अकेले ही अपने मोबाइल फोन्स के साथ ज्यादा समय बिताते
लेकिन आजकल, बच्चे अकेले ही अपने मोबाइल फोन्स के साथ ज्यादा समय बिताते हैं। इनके लिए नानी-दादी की कहानियां सिर्फ एक याद आने वाली याद की बात बन गई हैं। यह तकनीकी दुनिया का एक प्रत्याशित परिणाम है, जिससे हमारे बच्चे उन सुंदर कहानियों से दूर हो रहे हैं जो हमारे संस्कृति और मूल्यों का महत्वपूर्ण हिस्सा थे।
इसके परिणामस्वरूप, हमें यह सोचने पर विचार करना चाहिए कि क्या हमारे बच्चों का बचपन वास्तव में खो गया है? क्या हम उन्हें नानी-दादी की कहानियों की महत्वपूर्ण बातें, सिख, और मनोरंजन को छोड़ने दे रहे हैं? हमें यह याद दिलाना होगा कि तकनीक का उपयोग तो बच्चों के विकास में महत्वपूर्ण है, लेकिन नानी-दादी की कहानियों का महत्व भी अत्यधिक है। इन कहानियों में छुपा हुआ सोने का गहना है, जो हमें आपसी सद्गुण और मानवता के महत्व को समझाने में मदद कर सकता है।
इसलिए, हमें अपने बच्चों को तकनीक के साथ-साथ नानी-दादी की कहानियों के जरिए भी उनके बचपन के सुंदर पलों को जीने का मौका देना चाहिए। इससे हमारे बच्चे न केवल तकनीकी माध्यमों के माध्यम से सीखेंगे, बल्कि वे अपनी संस्कृति और मूल्यों को भी महत्वपूर्ण समझेंगे।
नानी-दादी की कहानियां हमारे बच्चों के लिए न केवल मनोरंजन का स्रोत हो सकती हैं, बल्कि वे एक महत्वपूर्ण शिक्षा और मानवता के मूल्यों का भी एक महत्वपूर्ण हिस्सा हो सकती हैं। हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि हमारे बच्चे तकनीकी दुनिया में गुम होते बचपन को ना भूलें, और उन्हें नानी-दादी की कहानियों की महत्वपूर्ण बातें भी सिखाएं।
Article by- Nishat
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