82 प्रतिशत महिलाओं ने बताया कि अगर उनका मन नहीं है वो अपने पति के साथ सेक्स करने से मना कर सकती हैं. उनके सामने मना करने के तीन कारण रखे गए थे – पति को कोई यौन रोग हो, उसके किसी दूसरी महिला के साथ शारीरिक संबंध हों या पत्नी उस समय थकी हुई हो या उसका मूड न हो.
गोवा में सबसे अच्छी स्थिति
यह स्थिति सभी राज्यों में एक जैसी नहीं है. हर जगह अलग अलग आंकड़े निकल कर आए हैं. गोवा इस मामले में सबसे आगे है, जहां 92 प्रतिशत महिलाएं न कह सकती हैं. 63 प्रतिशत के साथ सबसे निचले पायदान पर है अरुणाचल प्रदेश.
पुरुष क्या मानते हैं ?
राष्ट्रीय स्तर पर औसतन 66 प्रतिशत पुरुष मानते हैं कि इनमें से किसी कारण से पत्नी सेक्स के लिए मना कर सकती है. 19 प्रतिशत पुरुषों को लगता है कि पत्नी के मना करने पर पति को नाराज होने का और उसे डांटने-फटकारने का अधिकार है.
पत्नी के साथ हिंसा
इसके बावजूद कई लोग अभी भी मानते हैं कि कुछ कारणों से पति का पत्नी को मारना सही है. 44 प्रतिशत पुरुष और 45 प्रतिशत महिलाएं ऐसा मानती हैं. उन्होंने इसे सात स्थितियों में सही पाया.
पितृसत्ता
ये सात स्थितियां पितृसत्तात्मक समाज की सबसे रूढ़िवादी निशानियों में से हैं. इनमें शामिल हैं – पत्नी पति को बिना बताए बाहर जाती है, घर या बच्चों को नजरअंदाज करती है, पति से बहस करती है, उसके साथ सेक्स करने से मना करती है, खाना ठीक से नहीं बनाती है, पति उस पर बेवफाई का शक करता है या वो अपने सास-ससुर के प्रति निरादर दिखाती है.
बढ़ती समस्या
पति द्वारा पत्नी को पीटने को सही ठहराने की प्रवृत्ति महिलाओं में घटी है लेकिन पुरुषों में बढ़ी है. एनएफएचएस के पिछले दौर में (2015-16) ऐसी महिलाओं का प्रतिशत 52 था जो अब गिर कर 45 पर आ गया है, जबकि पुरुषों का प्रतिशत 42 था जो बढ़ कर 44 पर आ गया है.