सरकार एक फरवरी को वित्त वर्ष 2022-23 के लिए बजट पेश करेगी। ऐसे में लोगों को बजट से काफी उम्मीदें हैं। लोगों को उम्मीदों पर यह बजट कितना खरा उतर सकता है चलिए यह जानने की कोशिश करते हैं।
इस महीने की शुरुआत में प्रकाशित सरकार के पहले अग्रिम अनुमानों के आधार पर, भारत की वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर साल-दर-साल पर 9.2% रहने का अनुमान है। लेकिन, दुर्भाग्य से यह 9.2% की वृद्धि दर वित्त वर्ष 2021 में महामारी से प्रभावित 7.3% की गिरावट के बाद आई है।
क्या उम्मीद करें?
उपरोक्त संदर्भ को देखते हुए इस वर्ष के बजट में बड़े धमाकेदार उपायों के लिए पर्याप्त जगह नहीं हो सकती, जो सीधे आम आदमी के हाथों में पैसा डाल सकते हैं। हालांकि, सरकार मध्यम प्रोत्साहन प्रदान करने का विकल्प चुन सकती है। हम इन्हें तीन प्रमुख विषयों के माध्यम से देख सकते हैं- आय से संबंधित कर परिवर्तन, निवेश से संबंधित कर परिवर्तन और उपभोग से संबंधित कर में बदलाव।
आयकर संबंधित कर
आयकर स्लैब के संबंध में यह संभावना नहीं है कि कोई महत्वपूर्ण संशोधन (सकारात्मक या नकारात्मक) होगा। सरकार 50,000 रुपये की मौजूदा स्टैंडर्ड डिडक्शन की सीमा को बढ़ाने का विकल्प चुन सकती है। 80सी के तहत टैक्स छूट की सीमा की बात करें तो इसे आखिरी बार वित्त वर्ष 2015 के बजट में बदला गया था, जब इसे 1 लाख रुपये से बढ़ाकर 1.5 लाख रुपये किया गया था। इस बार 80C की सीमा में कुछ वृद्धि हो सकती है।
लेकिन ऐसे संशोधनों को लेकर एक पेंच है। छूट की इस तरह की सीमा बढ़ने से केवल पुरानी व्यवस्था के आधार पर दाखिल करने वाले करदाताओं को फायदा होगा। इस प्रकार, केंद्र को इसे अपनाने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए नई व्यवस्था को भी बदलना पड़ सकता है।
निवेश संबंधि कर
व्यक्तिगत आयकर स्लैब के समान इक्विटी निवेश से अल्पकालिक और दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ के लिए कर व्यवस्था में भी बदलाव की संभावना नहीं है। हालांकि, सरकार निवेश उद्योग में डेट निवेश से संबंधित कुछ प्रस्तावों पर विचार कर सकती है। इनमें से एक है डेट लिंक्ड सेविंग्स स्कीम (डीएलएसएस) की शुरुआत, जो ईएलएसएस का एक निश्चित आय विकल्प है और यह 80सी के तहत खुदरा निवेशकों को कर लाभ प्रदान करता है।
डेट सिक्योरिटीज और डेट म्युचुअल फंड के दीर्घकालिक कराधान को एक दूसरे के मुताबिक करने के एक अन्य प्रस्ताव पर भी ध्यान दिया जा सकता है। वर्तमान में सूचीबद्ध सरकारी बॉन्ड से प्राप्त लाभ पर एक वर्ष की होल्डिंग पर 10% दीर्घकालिक कर का भुगतान करना पड़ता हैं जबकि डेट फंड से होने वाला लाभ केवल तीन साल की होल्डिंग के बाद लंबी अवधि के कर के योग्य होता है और इस पर 20% (सूचकांक लाभ के साथ) का कर लगाया जाता है।
उपभोग से संबंधित कर
सरकार उन उपायों की भी घोषणा कर सकती है जो आम आदमी के साथ-साथ महामारी प्रभावित क्षेत्रों को फायदा पहुंचाने वाले हैं। इसकी मल्टीप्लायर (एक से अधिक को प्रभावित करने वाला) क्षमता के कारण मुख्य रूप से आवासीय क्षेत्र पर ध्यान केंद्रित किया जा सकता है।
आवास और रियल एस्टेट की मांग को बढ़ावा देने के लिए सरकार आवासीय कर्ज के मूलधन और ब्याज भुगतान के लिए बढ़े हुए टैक्स डिडक्शन (कर कटौती) की घोषणा कर सकती है। इसके अलावा, सरकार ऐसी योजनाएं ला सकती है जो पर्यटन को प्रोत्साहित करने वाली हो, ताकि पर्यटन और सेवा सत्कार क्षेत्रों गति मिल सके।
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