ये दर्द भरी कहानियां उन महिला सिपाहियों की है, जो अपराधियों से नहीं सिस्टम से परेशान हैं। वह ड्यूटी पर हर दिन ऐसे ही सिस्टम से लड़ रही हैं। अनुशासन वाले विभाग में कार्रवाई के डर से वह अपनी समस्या भी नहीं बता पाती हैं।
बिहार देश का ऐसा राज्य है जहां सबसे अधिक महिला पुलिसकर्मी कार्यरत हैं। विभाग के आंकड़ों के अनुसार, बिहार में 24 हजार से अधिक महिला पुलिसकर्मी हैं। यह देश का लगभग 26% है, लेकिन इन्हें ड्यूटी के दौरान बाथरुम के लिए दूसरों के घरों का सहारा लेना पड़ता है।
ड्यूटी के वक्त वह पानी कम पीती हैं
पटना में फील्ड ड्यूटी पर तैनात महिला पुलिसकर्मियों का कहना है कि ड्यूटी के वक्त वह पानी कम पीती हैं। ड्यूटी किसी ऐसी जगह लग जाए, जहां बाथरुम की सुविधा न हो तो उस जगह पर वह पानी पीती ही नहीं हैं। ताकि टॉयलेट ना आए।
उन्होंने कैमरे पर आए बिना और नाम गुप्त रखने की शर्त पर दैनिक भास्कर से बात की। महिला पुलिस ने बताया- पटना के पब्लिक टॉयलेट की हालत ऐसी है कि वहां यूरिन डिस्चार्ज करना तो दूर, बगल से गुजरना भी कोई पसंद नहीं करता। अगर ना चाहते हुए भी पब्लिक टॉयलेट का इस्तेमाल करना पड़ता है तो कई सारी शारीरिक परेशानियां शुरू हो जाती हैं।
वैसी जगह जाकर यूरिन डिस्चार्ज से इन्फेक्शन हो जाता है। जिससे दर्द, जलन और चिड़चिड़ापन रहता है, लेकिन फिर भी ड्यूटी पर तैनात रहते हैं। परेशानी होने पर छुट्टी तक नहीं मिलती। टॉयलेट करने के लिए हमें मॉल, पेट्रोल पंप, स्कूल-कॉलेज या फिर किसी के घर का दरवाजा खटखटाना पड़ता है।
क्या करें…बहुत शर्म भी आती है, लेकिन कभी-कभी ऐसी परिस्थितियों बन जाती हैं कि जाना ही पड़ जाता है। अगर माहवारी का समय चल रहा हो तब तो और ज्यादा परेशानी बढ़ जाती है।
सरकार की तरफ से दो दिनों की छुट्टी मिल जाती है, लेकिन बाकी के तीन दिनों में काफी परेशानी हो जाती है। पैड चेंज करना, वॉशरूम जाना, इंटिमेट एरिया को साफ रखना…हमारे लिए चुनौतीपूर्ण हो जाता है, लेकिन क्या करें…धीरे-धीरे अपने बॉडी को सिस्टम के अनुसार ढाल देते हैं।
सबसे ज्यादा परेशानी
ट्रैफिक में तैनात महिला पुलिस का हाल तो और बेहाल है। दिनभर धूप और बारिश में खड़े होकर ट्रैफिक नियमों का पालन करवाने वाली ये महिलाकर्मी बताती हैं कि दिनभर धूप और बारिश में खड़े रहते हैं, लेकिन पानी कम पीती हूं। डर लगता है कि टॉयलेट ना आ जाए। पेट्रोल पंप और स्कूल का सहारा लेना पड़ता है। जहां यह दोनों न तो वहां पानी पीने से बचती हूं। टॉयलेट आने पर भी उसे रोक कर रखती हूं।
हर माह आ रहे 70 केस
पटना के PMCH में कार्यरत गाइनेकोलॉजिस्ट डॉ. अनुपमा ने बताया कि उनके पास हर महीने यूरिन इन्फेक्शन से परेशान महिला पुलिस कर्मियों के 60 से 70 केस आते हैं। जो भी महिला पुलिसकर्मी UTI प्रॉब्लम को लेकर आती हैं, उन्हें वह सलाह देती हैं कि वह साफ बाथरूम का इस्तेमाल करें। बहुत देर तक यूरिन को न रोके और हाइजीन को मेंटेन रखें।
जनरल फिजिशियन डॉ. राणा एस पी सिंह ने बताया कि महिला पुलिस कर्मियों में यह इन्फेक्शन कॉमन होता जा रहा है। उन्हें चाहिए कि समय-समय पर यूरिन डिस्चार्ज करती रहें। जब भी ये इन्फेक्शन हो तो उसे काफी समय तक इग्नोर न करके उसका इलाज करवाएं।
पटना के पब्लिक टॉयलेट का हाल
पटना नगर निगम के द्वारा पूरे पटना भर में 71 पब्लिक टॉयलेट बनाए गए। वहीं, सात कम्युनिटी टॉयलेट का निर्माण कराया गया है, लेकिन इन शौचालयों का हाल देखने जब दैनिक भास्कर निकला तो पटना के सेंटर पॉइंट यानी गांधी मैदान के पास बने पब्लिक टॉयलेट का हाल बदहाल दिखा।
दूर से ही पेशाब की बदबू आ रही थी। अंदर जाने पर हर तरफ पेशाब, थूक और गंदगी दिख रही थी। सैनिटाइजेशन के नाम पर उसे शौचालय में एक हैंड वॉश या साबुन तक नहीं था। बेसिंग के पाइप टूटे हुए थे।
Source-Bhaskar
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