मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर 243 लोगों की हत्या का आरोप लगा है। इस आरोप को लेकर मुजफ्फरपुर सीजेएम कोर्ट में परिवाद दायर किया गया है। सीएम नीतीश कुमार के साथ उत्पाद आयुक्त विनोद सिंह गुंजियाल, मुजफ्फरपुर के उत्पाद अधीक्षक संजय राय समेत बिहार के सभी जिलों के उत्पाद अधीक्षक के खिलाफ कोर्ट में परिवाद दायर की गई है। परिवादी का कहना है कि बिहार में शराबबंदी कानून वर्ष 2016 से लागू है। इसके बावजूद सरकार के गलत नीति एवं सिस्टम की लापरवाही से सभी जिलों में धड़ल्ले से अवैध देसी और विदेशी शराब बिक रही है। RTI से प्राप्त हुई जानकारी के अनुसार, शराब के कारण अबतक 243 लोगों की मौत हो चुकी है।
16 सितंबर को सुनवाई
शराबबंदी कानून लागू होने के बावजूद राज्य में जहरीली शराब भी बेची जा रही है। इसके सेवन से सैकड़ों लोगों की मौत हो चुकी है। छपरा, सीवान, मुजफ्फरपुर, बेतिया समेत कई जगह पर हुए जहरीली शराब कांड इसके उदाहरण हैं। कोर्ट ने परिवाद को स्वीकार कर लिया है। इस मामले में 16 सितंबर को सुनवाई होगी। परिवाद दायर करने वाले वकील का नाम सुशील कुमार है। परिवाद दायर करने के बाद सुशील कुमार ने कहा कि राज्य में शराबबंदी कानून वर्ष 2016 से लागू है। फिर भी बिना किसी रुकावट के सभी जिलों में देसी और विदेशी शराब बिक रही है। शराब तस्कर लोगों को घर तक शराब पहुंचाते हैं।
गांव से लेकर शहर तक देसी शराब बेची जा रही है
परिवादी ने बताया कि बिहार में नशामुक्ति के लिए बगैर जागरूकता अभियान चलाए, अचानक वर्ष 2016 में बिहार में शराबबंदी कानून लागू कर दिया। शराबबंदी कानून लागू होने के बावजूद देसी शराब गांव से लेकर शहर में बेची जा रही है। खेत-खलिहान में तस्कर शराब का कारोबार करते हैं। जहरीली शराब पीने से सैकड़ों लोगों की मौत हो चुकी है। वहीं सैकड़ों लोग दिव्यांग हो चुके हैं। सूचना के अधिकार अधिनियम 2005 में प्राप्त जानकारी के अनुसार जहरीली शराब की बिक्री जारी है, जिसे पीने पर सरकारी आंकड़ों के अनुसार पूरे बिहार में कुल 243 लोगों की मृत्यु जहरीली शराब से हुई है।
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