बिहार में आरआरबी एनटीपीसी परीक्षा में धांधली के आरोपों के बाद हुए बवाल में पुलिस ने बड़ी कार्रवाई की है। मशहूर यूट्यूब और शिक्षक खान सर समेत कई कोचिंग संचालकों के खिलाफ पटना में केस दर्ज किया गया है। पुलिस ने कोचिंग संचालकों पर छात्रों को भड़काने का आरोप लगाया है। वहीं, बवाल में चिह्नित छात्रों की गिरफ्तारी की कोशिश में भी पुलिस जुट गई है। पटना के कई लॉज और हॉस्टलों में बुधवार की देर शाम छापेमारी शुरू कर दी गई।
सबसे ज्यादा हिंसक वारदातें पटना और गया में देखने को मिलीं
बुधवार को लगातार तीसरे दिन भी छात्रों ने कई जिलों में बवाल काटा। सबसे ज्यादा हिंसक वारदातें पटना और गया में देखने को मिलीं हैं। गया में पैसेंजर ट्रेन की चार बोगियों को फूंक दिया गया है। इसी के बाद हरकत में आई पुलिस ने कोचिंग संचालकों के खिलाफ कार्रवाई शुरू कर दी। पटना के पत्रकार नगर पुलिस स्टेशन में कोचिंग संचालकों के खिलाफ केस दर्ज किया गया है। जिन कोचिंग संचालकों और शिक्षकों के खिलाफ केस हुआ है उसमें सबसे बड़ा नाम खान सर का है।
हालांकि खान सर को इस बात की पहले से आशंका थी। उन्होंने अपनी तरफ से मीडिया में पक्ष भी रखा था। एक वीडियो जारी कर छात्रों को हिंसक आंदोलन नहीं करने की अपील की थी। खान सर के अलावा पटना के एसके झा, नवीन, अमरनाथ, गगन प्रताप, गोपाल वर्मा और बाजार समिति के विभिन्न कोचिंग संचालकों के खिलाफ केस दर्ज किया गया है। एफआईआर में 300 से 400 अज्ञात पर केस दर्ज किया गया है।
बताया किसने आग में घी डाला
खान सर ने कहा कि सबसे बड़ी समस्या यह आई कि 24 जनवरी को जब राजेंद्र नगर टर्मिनल पर 500 के करीब एनटीपीसी के छात्र हंगामा कर रहे थे, तभी आरआरबी ने ग्रुप डी वालों के लिए तीन बजे ऑफिशियल नोटिफिकेशन जारी कर दिया। एनटीपीसी के छात्र सोच रहे थे कि कुछ अच्छी सूचना मिलेगी लेकिन आरआरबी की नोटिफिकेशन ने आग में घी डालने का काम किया। बोर्ड का नोटिफिकेशन ग्रुप डी वालों के लिए था। नोटिफिकेशन में बताया गया था कि ग्रुप-डी के अभ्यर्थियों का अब मेंस एग्जाम लिया जाएगा।
खान सर ने कहा कि आरआरबी ने आग में घी डालने का काम किया है। आरआरबी की गलती की वजह से छात्र सड़कों पर उतरे हैं। आरआरबी ने जो एनटीपीसी सीबीटी-1 की परीक्षा ली, उसमें बोर्ड ने ग्रेजुएशन और इंटरमीडिएट दोनों के छात्रों को एक साथ बैठाया।
दोनों के ही छात्रों को सिंगल प्रश्न पत्र दे दिया। जबकि कट ऑफ अलग-अलग रखा। ग्रेजुएशन वालों का कट ऑफ अलग था, जबकि इंटरमीडिएट वाले छात्रों का अलग। ऐसे में निश्चित रूप से ग्रेजुएशन वाले भारी पड़ेंगे। दोनों को एक साथ मिलाकर रिजल्ट देने में गड़बड़ी हुई है। इंटरमीडिएट वालों को 20 गुना पर रिजल्ट देने का कहा गया था, लेकिन 10 गुना पर ही रिजल्ट मिला।
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