सबसे पुराने मीडिया संस्थान पर सांस्कृतिक बर्बरता-विपक्ष
ब्रिटेन दो साल तक बीबीसी को फण्ड दिए जाने पर प्रतिबन्ध लगा दिया है. ब्रिटेन के संस्कृति सचिव ने कहा, कि बीबीसी को एक सरल निष्पक्ष संगठन बनने की जरूरत है, जबकि विपक्ष ने सरकार के इन फैसले को देश के सबसे पुराने मीडिया संस्थान पर सांस्कृतिक बर्बरता करार दी है.
ब्रिटेन ने सोमवार को कहा कि दो वर्ष के लिए बीबीसी को मिलने वाली फंडिंग पर रोक लगाई जाएगी. इसके साथ ही सरकार इस पर बहस शुरू करेगी, कि क्या आधुनिक टेलीविजन युग में एक सार्वभौमिक लाइसेंस शुल्क जारी रहना चाहिए ? संस्कृति सचिव नादिन डोरिस के अनुसार बीबीसी को 2024 तक प्रति वर्ष मिलने वाली 159 पाउंड (217 डॉलर) राशि पर रोक लगाई गई है. डोरिस ने सफाई दी कि यह इस पुराने संगठन को नष्ट करने की कवायद नहीं हैं. उन्होंने संसद को बताया कि ऐसे समय में अधिक धन प्राप्त नहीं किया जा सकता है जब घर बढ़ते करों व ऊर्जा बिलों से प्रभावित हो रहे हों.
टकराव बीबीसी के वामपंथी झुकाव को लेकर
संस्कृति सचिव नादिन डोरिस ने संसद को जानकारी दी कि ब्रिटेन के सांस्कृतिक जीवन के केंद्र में बीबीसी को एक सरल संगठन बनने की आवश्यकता है. खासकर ऐसे समय में ब्रिटिश जनता बढ़ती ऊर्जा टैक्स बिलों का सामना कर रही है. बीते कुछ समय से बीबीसी पीएम बोरिस जॉनसन की सरकार के बीच काफी तनाव देखने को मिला. ब्रिटिश पीएम बोरिस जॉनसन की सरकार ने पहले ही सार्वजनिक प्रसारण को लेकर बीबीसी को वित्त पोषित करने की प्रणाली में सुधार करने का सुझाव दिया था. सरकार बीबीसी के बीच यह टकराव कथित रूप से बीबीसी के वामपंथी झुकाव एंटी-नेशनल एजेंडे को लेकर था. विवाद का एक विशेष कारण ब्रेक्सिट का मुद्दा है. बीबीसी के कवरेज में ब्रेक्सिट समर्थक दलों की अत्यधिक एकतरफा आलोचना कार्यक्रम प्रसारित करने मे आरोप लगता रहा है.
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बीबीसी पर निष्पक्ष समाचार प्रदान करने में विफल रहने का आरोप
सरकार समर्थक एक सांसद ने पिछले सप्ताह बीबीसी पर लॉकडाउन के दौरान डाउनिंग स्ट्रीट पर पीएम जॉनसन के आवास पर आयोजित विभिन्न पार्टियों पर अपनी रिपोर्टिंग के जरिए तख्तापलट की कोशिश का आरोप लगाया था. बीबीसी हाल के सालों में डेविड के प्राकृतिक इतिहास कार्यक्रमों स्ट्रिक्टली कम डांसिंग जैसे मनोरंजन शो को लेकर भी पीएम बोरिस जॉनसन की सरकार के साथ भिड़ गया था. सरकार ने बीबीसी पर निष्पक्ष समाचार प्रदान करने में विफल रहने का आरोप लगाया था. विपक्षी श्रम प्रवक्ता लुसी पॉवेल ने संसद को बताया कि बीबीसी की फंडिंग फ्रीज करना ब्रिटेन के सबसे बड़े सार्वजनिक संस्थानों में से एक पर हमला है एक तरह की सांस्कृतिक बर्बरता है.
शशांक शेखर विगत 30 वर्षों से पत्रकारिता, आकाशवाणी व सामाजिक कार्यों से जुड़े हुए हैं साथ ही लघु/फीचर फिल्मों व वृत्त चित्रों के लिए कथा-लेखन का कार्य भी विगत डेढ़ दशकों से कर रहे हैं. मशाल न्यूज़ में पिछले लगभग ढाई वर्षों से कार्यरत हैं.
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