देश के सरकारी बैंक के कर्मचारी कल और परसों यानी 16 और 17 दिसंबर को दो दिन की बैंक हड़ताल करेंगे। यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन (UFBU-United Forum of Bank Unions) की तरफ से ये जानकारी दी गई है। बैंकों के प्राइवेटाइजेशन के विरोध में ये हड़ताल किया जा रहा है।
दो बैंको के प्राइवेटाइजेशन का ऐलान
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 1 फरवरी 2021 को पेश किए अपने बजट में दो बैंकों के प्राइवेटाइजेशन का ऐलान किया था।जिसके बाद सरकार ने इसकी तैयारी भी शुरू कर दी है। बताया जा रहा है कि सरकार संसद के शीतकालीन सत्र में बैंकिंग कानून संशोधन विधेयक (Banking Laws (Amendment) Bill 2021) लाने की तैयारी में है।
क्या है हड़ताल की वजह?
गौरतलब है कि ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर्स कन्फेडरेशन (एआईबीओसी) ने सरकारी बैंकों के निजीकरण के खिलाफ आंदोलन की घोषणा की थी। सरकार की ओर से विनिवेश पर गठित की गई सचिवों के मुख्य समूह ने सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, इंडियन ओवरसीज बैंक, बैंक ऑफ महाराष्ट्र और बैंक ऑफ इंडिया के नाम सुझाए थे।
क्या होगा बैंक कर्मचारियों का?
रिपोर्ट्स के मुताबिक, प्राइवेटाइजेशन से पहले ये बैंक अपने कर्मचारियों के लिए आकर्षक स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना (VRS) ले सकते हैं। कर्मचारियों के लिए भी यह एक चिंता का विषय बना हुआ है।
IDBI बैंक भी हो चुकी है प्राइवेट
साल 1960 में IDBI बैंक डेवलपमेंट फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशन के नाम से शुरू हुआ था। बाद में इसे IDBI Bank बैंक में तब्दील कर दिया गया था। इसके लिए संसद की ओर से इजाजत दी गई। देश के जितने भी नेशनलाइज्ड बैंक हैं, उनका सारा काम संसदीय कानूनों के द्वारा कंट्रोल होता है। ये बैंक जैसे ही प्राइवेट होते हैं, संसद की जिम्मेदारी खत्म हो जाती है।
Article by- Nishat Khatoon
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